
गोरखपुरः वैश्विक महामारी कोरोना के बाद पड़े छठ के महापर्व का आज अंतिम दिन रहा है. व्रती महिलाओं और उनके परिवार के लोगों ने घाट, कुंड और सरोवर पर जाकर उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया. लेकिन इस बीच वे सरकार के ‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’ के संदेश को भूल गए. घाटों पर व्रत करने आए अधिकतर लोग पूजा के बाद शेष बचे बेकार सामान और प्लास्टिक के पैकट तक घाट पर छोड़कर घर की ओर चल दिए और सरकार के नारे और मिशन को तिलांजलि दे दी.
गोरखपुर के राजघाट पर व्रती महिलाओं ने उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया. बुधवार की शाम को भी लाखों की संख्या में व्रती महिलाएं और उनके परिवार के सदस्यों ने अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य दिया था. गुरुवार की भोर से ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु व्रत को पूरा करने के लिए जुट गए. उन्होंने छठी मईयों को शीश झुकाकर परिवार के खुशहाली की कामना की. लेकिन, सरकार के ‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’ के नारे को भुला दिया. पूजा के बाद शेष बची सामग्री को वे राप्ती नदी के तट पर गोरक्षनाथ घाट पर ही कूड़ा-कचरा के रूप में छोड़कर चले गए.
पंडित राम नरेश मिश्र कहते हैं कि पूजा के बाद आस्था की बात है कि सफाई का ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि पूजा के बाद विसर्जन के साथ-साथ सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए. ये सभी का दायित्व है. सिर्फ सरकार के करने से नहीं होगा. ये हम सभी का दायित्व है. सभी माता-बहनों और परिवार के सदस्यों को इसका ध्यान रखना चाहिए.
भाजपा नेता जितेन्द्र बहादुर चन्द ने कहा कि ये हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम सफाई पर ध्यान दें. भाजपा की सरकार स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे रही है. ऐसे में इस तरह से गंदगी करना अच्छी बात नहीं है. वे कहते हैं कि सभी को इस बात का ख्याल रखना होगा.




