
गोरखपुर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ पर्व बृहस्पतिवार की सुबह संपन्न हो गया। आज उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह 6:30 बजे सूर्य के उदय होते ही घाटों पर जयघोष होने लगा। व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देकर मंगलकामना की। इस दौरान कई घाटों पर लोगों ने आतिशबाजी करके भी अपनी खुशी का इजहार किया।
कई श्रद्धालु नाच-गाकर खुशी मनाते नज़र आए। नदी और तालाबों में महिलाएं सुबह चार बजे से ही कमर भर पानी में खड़ी होकर सूर्योदय की प्रतीक्षा कर रही थीं। उनकी आंखें पूरब दिशा में आकाश की ओर टिकी थीं। सूर्योदय होते ही व्रती महिलाओं ने उन्हें दूध और जल का अर्घ्य देकर प्रसाद अर्पित किया। भगवान भाष्कर की आरती उतारी।
उधर, गोरखपुर शहर के राप्ती नदी के तट पर गोरक्षनाथ घाट रामघाट और राजघाट समेत विभिन्न घाटों की ओर जाने वाले रास्तों पर भोर में तीन बजे से ही मंगलगीत गूंजने लगे थे। भोर में चार बजे से ही नदी और तालाबों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच गए। सिहरन पैदा कर रहीं ठंडी हवाओं के बावजूद श्रद्धालुओं पर आस्था हावी थे। इस बीच देखा गया कि गोरखपुर के गोरक्षनाथ घाट पर शादीशुदा महिलाओं के साथ कुछ युवतियां भी आई थी। हालांकि इस व्रत का महत्व शादीशुदा महिलाओं के लिए अधिक होता है क्योंकि व्रत के द्वारा वह अपने पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि संतान की सुख समृद्धि समृद्धि मांगती है लेकिन घाट पर पहुंची मोहिनी सिंह ने बताया की हमने व्रत रखकर अपनी अच्छी शिक्षा और नौकरी के लिए माता से मन्नत मांगी है।
सूर्योदय होते ही माहौल में हर तरफ जयघोष होने लगा। राप्ती नदी के राजघाट, शंकरघाट, महेसरा ताल, गोरखनाथ मंदिर स्थित भीम सरोवर, रामगढ़ताल के विभिन्न घाटों, सूर्यकुंड धाम, विष्णु मंदिर, खरैया पोखरा, बिछिया और शाहपुर सहित विभिन्न मोहल्लों में अस्थाई पोखरे बनाए गए थे।
ऐसे पूरा हुआ व्रत
व्रतियों ने घाटों पर बेदी बनाई थी। खरना के दिन व्रतियों ने छोटी रोटी (ओठगन) बनाई थी। व्रतियों ने नदी-घाटों से लौटने के बाद उसी रोटी से व्रत तोड़ा। नदी-घाटों पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने लोगों में प्रसाद वितरित किया।