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Up election : 9 जिलों के 54 अखाड़ों में दंगल 7 मार्च को

एक से बढ़कर एक नारे लगे। गगनभेदी हुंकारें लगीं। ललकारें तो ऐसी हुईं, मानाे सबकुछ उलट-पुलट जाएगा। वादों और इरादों की गर्जना से भी जनता को खूब झकझोरा गया। ऐसे या वैसे, जैसे भी मक्खन निकले, खूब मथा गया। अंतिम अस्त्र-शस्त्र और ब्रह्मास्त्र भी चलाए जा चुके है। अब रणभूमि खामोश है। अब सबकी निगाहें आप पर हैं। आपके फैसले पर हैं। यूपी की सत्ता के भाग्य का फैसला मुकम्मल होने में अब महज कुछ घंटों का ही फासला है। आपका फैसला बहुत कुछ बताएगा। इतिहास के पन्ने जब भी पलटे जाएंगे। जनादेश के मायने खंगाले जाएंगे। आपके फैसले की रोशनी में रहनुमाओं के कद का आकलन होगा। उनकी प्रतिष्ठा और पहुंच का आकलन होगा। यूपी से निकले जनादेश की गूंज दूर तलक जाएगी। फिलहाल 7 मार्च को 9 जिलों के 54 अखाड़ों में होने जा रहे दंगल का क्या हाल है,

बात सातवें द्वार की करें उससे पहले इसकी अहमियत कितनी है, पहले इसे जान लें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस द्वार पर मजबूती से मोर्चा संभाला। भगवा खेमे से दिग्गजों ने काशी में डेरा डाला। ..तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी शक्ति प्रदर्शन में पूरी ताकत झाेंक दी। प्रदेश की सत्ता का प्रवेशद्वार माने जाने वाले इस चरण में जिसने बाजी मारी, उसकी सरकार बननी तय है। भाजपा को जहां मोदी मैजिक पर भरोसा है, वहीं सपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ ओबीसी मतदाताओं की लामबंदी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया है। बसपा खामोशी से दबे पांव चाल चलती रही। चुनाव-दर-चुनाव सिकुड़ते जनाधार को सहेजते हुए कांग्रेस भी कुछ सीटों पर लड़ाई में नजर आ रही है।