रायबरेली: एक तरफ जहां केंद्र और प्रदेश सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है वहीं रायबरेली में आज भी सैकड़ों लोगों को जान जोखिम में डालकर मौत के पुल से गुजरना पड़ रहा है. रायबरेली को वीवीआइपी जिला कहा जाना है और ये सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है. सोनिया गांधी लगातार पांचवी बार यहां से सांसद बनी हैं और जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर बसा है राही ब्लॉक का रामपुर बघेल गांव. गांव के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर मौत के पुल से होकर गुजरते हैं जहां इस बार ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की बात भी की है।
जान की परवाह नहीं
सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में विकास के बड़े-बड़े दावे किए गए लेकिन ये दावे उस वक्त फीके पड़ जाते हैं जब लोग अपनी जान की परवाह किए बिना बांस के पुल को पार करते हैं. लोगों ने कई बार इसकी शिकायत अपनी सांसद सोनिया गांधी से भी की लेकिन गांव की जनता को मिले तो सिर्फ खोखले वादे.जिस तरह बरसों बरस से लकड़ी के पुल पर लोग आ जा रहे हैं उससे रायबरेली के विकास के बारे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. जहां की सांसद सोनिया गांधी हों और जो विकास के दावे भाजपा की तरफ से किए जा रहे हैं इन दोनों ही स्थितियों में रायबरेली नजरअंदाज की जा रही है. परेशानी लोगों को उठानी पड़ रही है, जीवन की परवाह न करते हुए सौकड़ों की संख्या में लोग लकड़ी और बांस के पुल से गुजरते हैं।
बच्चों ने लगाई गुहार
छोटे-छोटे बच्चे भी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल को पार करते हैं. जब इस मामले पर बच्चों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि डर तो बहुत लगता है लेकिन स्कूल जाना भी जरूरी है. वहीं, एक बच्चे ने कहा कि एक बार हम इस पुल को पार करते समय नीचे नहर में गिर गए थे जिसके बाद गांव वालों ने उसे बाहर निकाला. क्या सरकार को इन नौनिहालों की पुकार नहीं सुनाई देती. बच्चों ने सरकार से मांग की है कि पुल का जल्द से जल्द निर्माण करा दें जिससे उन्हें स्कूल आने-जाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो.