लखनऊ ( राजू ,स्टेट हेड ): जब से मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव पशुधन के पद पर आसीन हुये हैं तब से एक मिशन के रूप में पशुपालन विभाग के विशेष वर्ग के सजातीय अधिकारियों को जो पूर्व से ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में संलिप्त हैं, जिनकी विभिन्न स्तर पर जांचे चल रही हैं तथा उनके भ्रष्टाचार की जांचों में पुष्टि भी हुई है के बाद भी उन्हें दंडित करने के बजाय वर्तमान की योगी सरकार की भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टालरेन्स नीति की धज्जियां उड़ाते हुये उन्हें लगातार पुरस्कृत कर पदोन्नति एवं मनचाही पोस्टिंग दी जा रही हैं। जिसका ज्वलन्त उदाहरण डा0 राजेन्द्र कुमार माहौर, अपर निदेशक ग्रेड-1 जिनके विरूद्ध शपथ पत्र पर विभागीय श्रेणी क एवं ख के राजपत्रित अधिकारियों द्वारा शपथ पत्र(एफिडेविट) पर भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें की गयी हैं जिनकी जांच अभी भी चल रहीं हैं को सजातीय का लाभ देते हुये उन आरापों को अनदेखा कर नियमविरूद्ध निदेशक के पद पर प्रोन्नत कर दिया गया है। सजातीय अधिकारी डा0 अनिल कुमार, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, रायबरेली के पद पर रहते हुये किये गये व्यापक भ्रष्टाचार जिनके विरूद्ध जिलाधिकारी रायबरेली द्वारा कार्यवाही हेतु तीन-तीन बार शासन को पत्र लिखे गये, एल0आई0यू0, सी0बी0सी0आई0डी0 द्वारा भ्रष्टाचार की तथा महिला आयोग द्वारा महिला अधिकारी के उत्पीड़न की जांच चल रही है को पहले तो उनके गृह मंडल कानपुर के कन्नौज जनपद में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बनाया गया फिर उन्हें उनके भ्रष्टाचार का इनाम देते हुये विशेष बैठक कर पिछली तिथियों से अपर निदेशक ग्रेड 2 के पद पर पदोन्नत कर प्रयागराज मंडल जहां पर पूर्व से ही 05 वर्ष से अधिक का कार्यकाल रहा है पदस्थ कर दिया गया है। इसी क्रम में सजातीय अधिकारीं डा0 कृष्ण पाल सिंह प्रभारी अपर निदेशक ग्रेड-2 पशुपालन विभाग(संयुक्त निदेशक वाराणसी) के द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के विरूद्ध न केवल प्रयागराज जनपद के 32 अधिकारियों द्वारा गोपनीय प्रविष्ट लिखने हेतु रिश्वत मांगे जाने का आरोप लगाते हुये शपथपत्र के माध्यम से शिकायत की गयी थी बल्कि सांसद, फूलपुर, विधायक कोरांव, विधायक फूलपुर द्वारा भी मुख्यमंत्री को अपने ही सरकार के अधिकारी द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार के विरूद्ध शिकायत किये जाने पर जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद भी माननीयों की शिकायतों को कूड़ेदान में डालते हुये उनकी पदोन्नति अपर निदेशक ग्रेड-2 पद पर नियमविरूद्ध जाकर कर पदोन्नति करते हुये पुरस्कार स्वरूप आजमगढ़ जैसा बड़े मंडल में पदस्थ कर दिया गया।
सजातीय अधिकारी, डा0 मधुर गोपाल, पशु चिकित्सा अधिकारी वाराणसी के ऊपर धारा 302 के मुकदमे में कई बार जेल भेजे जा चुके है परन्तु डा गोपाल को मात्र परिनिन्दा कर छोड़ दिया गया।
इसी प्रकार सजातीय अधिकारी डा0 विजय वीर चन्द्रयाल जिनके मेरिट में कम नंबर थे को नियमविरूद्ध जाकर नंबर पूरा कर पदोन्नति दे दी गयी। यही नहीं सजातीय अधिकारी डा0 विनोद कुमार, जिनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही प्रचलित थी को एक माह के अन्दर ही उनके पक्ष में निस्तारित कर उन्नाव जैसे महत्वपूर्ण जनपद का मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बना दिया गया। श्री मुकेश मेश्राम की हिटलरशाही का यह आलम है कि गैर सजातीय अधिकारियों के विरूद्ध दोयम दर्जे का व्यहार करते हैं जिसका ज्वलन्त उदाहरण डा0 अरूण कुमार गुप्ता, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, बस्ती को बैठक में प्रशासन का फोन रिसीव करने के कारण असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हुये सभी अधिकारियों के सामने खुलेआम बेइज्जत करते हुये प्रतिकूल प्रविष्ट प्रदान करने के निर्देश दे दिये गये।





