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Lucknow : अतुल प्रधान, संभल और यादव एसडीएमदिल्ली गए अखिलेश तो क्या लखनऊ में कमजोर पड़ रही सपा?

विधानसभा में समाजवादी पार्टी का फ्लोर मैनेजमेंट इन दिनों चर्चा में है. अखिलेश यादव के लखनऊ से दिल्ली जाने के बाद किसी भी बड़े मुद्दे पर विधानसभा में सपा योगी सरकार की घेराबंदी नहीं कर पाई है.उलटे अतुल प्रधान और संभल-बहराइच के मुद्दे पर सपा बैकफुट पर चली गई.

बुधवार को झांसी में नवजातों की मौत मामले में सरकार को घेर रहे सरधना विधायक अतुल प्रधान को स्पीकर ने मार्शल आउट करा दिया. दिलचस्प बात है कि यह घटना तब हुई, जब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे और शिवपाल यादव मौजूद थे.

माता प्रसाद के पास नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी

2024 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से जीत हासिल करने के बाद अखिलेश यादव लोकसभा चले गए. अखिलेश ने अपनी जगह नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर माता प्रसाद पांडे की नियुक्ति कर दी. कद्दावर नेता पांडे विधानसभा के स्पीकर भी रहे हैं. ब्राह्मण समुदाय से आने वाले माता प्रसाद इटवा सीट से विधायक हैं.

81 साल के पांडे को मुलायम और शिवपाल का करीबी माना जाता है. विपक्ष की तरफ से फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा नेता प्रतिपक्ष के पास ही रहता है.

शीतकालीन सत्र में सपा पर सरकार भारी

संभल-बहराइच पर योगी ने ली बढ़त

विधानसभा सत्र के शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने संभल और बहराइच पर बहस की मांग की. स्पीकर के कहने पर सरकार ने संक्षिप्त बहस की मांग मान ली. बहस की शुरुआत हुई तो सपा की तरफ से कुछ वक्ताओं ने इस पर बात रखी, लेकिन सपा की घेराबंदी से ज्यादा इस पर योगी आदित्यनाथ का जवाब चर्चा में रहा.

योगी ने दंगों की पूरी लिस्ट विधानसभा में रख दी. उन्होंने मस्जिद के बाहर जयश्री राम के नारे लगाए जाने को भी सही ठहराया. मुख्यमंत्री योगी के बयान का समाजवादी पार्टी के नेता मुखरता से विरोध नहीं कर पाए.

संभल और बहराइच के मसले को अखिलेश ने लोकसभा में उठाया. दोनों ही मुद्दे पर सपा के सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में जमकर प्रदर्शन भी किया. दोनों की खबरें मीडिया में भी आई, लेकिन इसके मुकाबले यूपी विधानसभा में सपा इस मुद्दे पर प्रदर्शन करने में विफल रही.

यादव SDM को लेकर भी सपा बैकफुट पर

यूपी विधानसभा में एक बहस के दौरान योगी आदित्यनाथ ने फिर से यादव एसडीएम को लेकर सपा की घेराबंदी की. हालांकि, इस बार योगी के बयान के आंकड़े नए थे. योगी ने कहा कि पिछली सरकार में 86 एसडीएम नियुक्त किए गए थे, जिसमें से 56 एक ही जाति के थे.

पिछली बार विधानसभा में योगी ने 46 में से 56 यादव एसडीएम का बयान दिया था. उस वक्त अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई थी, लेकिन हालिया योगी के बयान पर सदन में कोई हंगामा नहीं हुआ. सपा के सभी विधायक इस मुद्दे पर चुप रहे.

यूपी में यादव एसडीएम का मामला साल 2016 के आसपास आया था, जिसमें कहा गया था कि यूपीपीएससी की तरफ 86 एसडीएम अफसरों की 3 साल में नियुक्ति हुई है, उनमें 56 यादव समुदाय के हैं.

अतुल प्रधान पर भी सरकार बच निकली

सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान बुधवार को विधानसभा में झांसी मेडिकल कॉलेज में नवजातों की मौत का मामला उठा रहे थे. इसी दौरान स्वास्थ्य विभाग के मुखिया और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक इसका जवाब देने उठे. दोनों के बीच शुरुआत से ही नोकझोंक होने लगी.

अतुल ने स्वास्थ्य विभाग और मंत्री को लेकर कुछ असंसदीय टिप्पणी कर दी, जिसके बाद स्पीकर सतीश महाना ने बीच बचाव की कोशिश की. अतुल का कहना था कि सरकार इस मामले में सही से जवाब नहीं देना चाह रही है, जो गलत है.

स्पीकर ने अतुल से बैठने के लिए कह दिया. अतुल जब नहीं बैठे तो स्पीकर ने मार्शल बुलाकर अतुल को बाहर करने का आदेश दे दिया. अतुल जैसे ही बाहर हुए, स्पीकर ने उन्हें पूरे सत्र से निष्कासित करने का फैसला सुना दिया.

अतुल के बाहर निकाले जाने के बाद सदन को तुरंत स्थगित कर दिया गया.