मेरठ ( मनीष पाराशर,मंडल ब्यूरो ) : मेरठ के डीएन पॉलिटेक्निक कॉलेज में करोड़ों रुपए के मामले का घोटाला सामने आया है। यह घोटाला स्टूडेंट की फीस को लेकर है कॉलेज ने स्टूडेंट की फीस के करोड़ों रुपए ठिकाने लगा दिए जिसकी शिकायत सजग प्रहरी उत्तर प्रदेश संस्था के जिला अध्यक्ष कुलदीप शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री को की गई शासन द्वारा पूरे मामले की जांच के लिए तत्कालीन संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिमी क्षेत्र दोराला मेरठ की अध्यक्षता मे तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच कराई जांच मे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए जिसमे छात्रों की फीस मे बडा घोटाला सामने आया जांच कमेटी द्वारा प्रबन्ध तन्त्र एवं प्रधानाचार्य से जब कराये गये करोड़ो रुपए के कार्यों की शासन से अनुमति ही नहीं थी और ना ही कोई टेंडर प्रक्रिया की गई प्रबन्ध तन्त्र को केवल एक लाख रुपए तक ही खर्च करने का अधिकार है उससे अधिक के लिए शासन से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है प्रबन्ध तन्त्र एवं प्रधानाचार्य लगभग दो करोड़ रुपए के बिल जांच कमेटी के सामने प्रस्तुत ही नहीं कर पाये जांच कमेटी द्वारा जांच रिपोर्ट निदेशक प्राविधिक शिक्षा कानपुर को भेजी गई निदेशक प्राविधिक शिक्षा कानपुर द्वारा पुनः तीन सदस्यीय जांच कमेटी संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा बुन्देलखण्ड झांसी की अध्यक्षता मे गठित कर जांच कराई दूसरी जांघ कमेटी द्वारा भी करोड़ों रुपए के फीस घोटाले की पुष्टि कर दी ओर अपनी जांच रिपोर्ट निदेशक प्राविधिक शिक्षा कानपुर को प्रेषित की गई दोनो जांच रिपोर्ट निदेशक प्राविधिक शिक्षा कानपुर द्वारा शासन को प्रेषित किया गया शासन द्वारा करोड़ों के घोटाले में प्रबन्ध तन्त्र एवं प्रधानाचार्य एवं संलिप्तो के विरुद्ध तत्काल दिनांक 2/1/2024 को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश निदेशक प्राविधिक शिक्षा कानपुर के माध्यम से संयुक्त निदेशक पश्चिमी क्षेत्र दोराला मेरठ को दिये परन्तु संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा एफआईआर दर्ज ही नही करा रहे है इस गम्भीर प्रकरण मे शासन के आदेश के बावजूद एफआईआर दर्ज ना करने के पीछे केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव जो कि वरिष्ठ आईएएस है ओर प्राविधिक शिक्षा मे बडे पद पर तैनात रहे हैं उनका दबाव माना जा रहा है जानकारी मे आया है कि प्रबंधक के भाई आईएएस अधिकारी के क्लासमेट रहे डी एन पालिटेक्निक कालेज मेरठ कई ओर अनियमितता भी सामने आई है कालेज की प्रबन्ध समिति रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी एवं चिट्स मेरठ के कार्यालय मे 2010 से पंजीकृत ही नही है ओर संस्था को संचालित करने वाले तीनो सदस्य प्रदेश सरकार एवं केन्द्र सरकार से अनुमोदित ही नही है जबकि संस्था के बायलोज के अनुसार अनुमोदन अवश्य है संस्था का नवीनीकरण समाप्त होने पर तत्कालीन दोषी प्रधानाचार्य द्वारा गलत कागज जमा कर नवीनीकरण करा लिया इस प्रकरण की भी शिकायत कुलदीप शर्मा द्वारा रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी एवं चिट्स मेरठ से करने पर कराया गया नवीनीकरण समाप्त कर दिया डी एन पालिटेक्निक कालेज मेरठ मे दलित शिक्षक का भी शोषण हो रहा है इस फीस घोटाले प्रकरण मे दोषी प्रधानाचार्य को दोषी प्रबंधक ने एफआईआर के आदेश के बाद निलंबित कर इसी घोटाले में संलिप्त सजातीय जूनियर शिक्षक एम् के वाष्र्णेय को चार्ज दे दिया जबकि कालेज के वरिष्ठ दलित शिक्षक को जानबूझकर प्रधानाचार्य का चार्ज नहीं दिया है सजग प्रहरी संस्था के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने बताया कि अभी और बड़े घोटाले डीएन पॉलिटेक्निक के सामने आएंगे जिसका वह जल्द खुलासा करने वाले हैं।
वही डीएन पॉलिटेक्निक के करोड़ों के कथित वित्तीय घोटाले की यदि बात की जाए तो बताया गया है कि डीएन पॉलिटेक्निक में इवनिंग क्लासेस चलती है इन क्लासों का ट्यूशन शुल्क मॉर्निंग चलने वाली क्लासों की फीस से कुछ अधिक होना बताया गया है। शाम को चलने वाली क्लासों में आने वाले छात्रों की फीस के रूप में ही यह रकम जमा थी जिसको ठिकाने लगा दिया गया आरोप है कि जो काम कराए गए उसमें अनाप-शनाप रेट दिखाए गए हैं जो सत्यता से परे हैं। आरोप है के नियम अनुसार कुछ भी नहीं किया गया। इस मामले को उजागर करने का काम सजक प्रहरी उत्तर प्रदेश शाखा के जिला अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने किया है उन्होंने ही डीएन पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य के कृत्य का खुलासा करते हुए निदेशक प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश कानपुर को गोपनीय पत्र भेजा। कुलदीप शर्मा का आरोप है की जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है किसी प्रकार से पूरी जांच कमेटी ही मैनेज हो जाए इसके लिए इन दिनों जांच टीम में शामिल प्रधानाचार्य के राजकीय पॉलिटेक्निक की परिक्रमा किए जाने की खबरें मिल रही है, लेकिन जांच प्रक्रिया पर पूरी नजर रखी जा रही है मामला छात्रों की फीस के 9 करोड़ के वित्तीय घोटाले का है।
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति किसी से छिपी नहीं है इसके बावजूद डीएन पॉलिटेक्निक मेरठ में कथित रूप से प्रधानाचार्य व सहयोगियों के स्तर से इतना बड़ा वित्तीय घोटाला अंजाम दे दिया जाना एक बड़ा सवाल बनता है लेकिन सवाल के दाग को निदेशक प्रारंभिक शिक्षा कानपुर ने जांच के आदेश देकर धोने का प्रयास भी किया है। मेरठ में संयुक्त निदेशक प्राविधिक के पद पर तैनात मोहम्मद साबिर अली भी इस पूरे कृत्य में शामिल है और वह भी लगातार इस पर जवाब देने से बचते नजर आ रहे हैं। शासन ने जब इसमें एफआईआर कराने के आदेश भी दिए उसके बावजूद संयुक्त निदेशक ने इसमें एफआईआर नहीं कराई । संयुक्त निदेशक लगातार मीडिया से भी बचते नजर आते हैं जब मीडिया उनके कार्यालय में उनसे इस बारे में जानकारी करने जाती है तो संयुक्त प्राविधिक निदेशक मोहम्मद साबिर अली वहां से भागते नजर आते हैं और मीडिया से कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। आखिर इतने बड़े घोटाले में जो लोग दोषी हैं उन पर अभी तक भी कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही। सूत्रों की माने तो एक वरिष्ठ आईएएस का भी सहयोग जांच पूरी न करने में व्यवधान डाल रहा है यह आईएएस लखनऊ में काबिज है और लगातार जांच में रोड़ा बने हुए हैं।