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Lucknow : मुख्यमंत्री ने केन्द्र व राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षाओं में उच्च अंक प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया

लखनऊ ( DNM NETWORK):उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि शिक्षा केवल डिग्री अथवा सर्टिफिकेट प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण का माध्यम है। परीक्षा का मतलब विद्यार्थी को परेशान करना नहीं है। यह उनके सामान्य मूल्यांकन का आधार है। विद्यार्थी की क्षमता व योग्यता को सामान्य परिस्थिति में प्रदर्शन के आधार पर देखा जा सकता है। इसकी पहली शर्त पारदर्शी, शुचितापूर्ण तथा नकलविहीन परीक्षा है। प्रश्नपत्र बहुत कठिन न होकर सामान्य प्रकृति का होना चाहिए। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद देश के विभिन्न राज्यों में सबसे बड़ा बोर्ड है। प्रतिवर्ष लगभग 56 लाख छात्र-छात्राएं हाई स्कूल तथा इण्टरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं में भाग लेते हैं।
मुख्यमंत्री जी लोक भवन में ‘मेधावी विद्यार्थी सम्मान समारोह-2023’ के अन्तर्गत केन्द्र व राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षाओं में उच्च अंक प्राप्त करने वाले 1745 मेधावी विद्यार्थियों के सम्मान एवं टैबलेट वितरण तथा 18 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के भवनों व 125 विज्ञान प्रयोगशालाओं के लोकार्पण के अवसर पर आयोजित समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इनमें उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज, उ0प्र0 माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद लखनऊ, काउन्सिल फॉर दि इण्डियन स्कूल सर्टिफिकेट्स एग्जामिनेशन नई दिल्ली तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड नई दिल्ली के मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। यह समारोह माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर 10 मेधावी विद्यार्थियों को एक-एक लाख रुपये का प्रतीकात्मक चेक, एक-एक टैबलेट, प्रशस्ति पत्र तथा मेडल प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने 18 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के भवनों व 125 विज्ञान प्रयोगशालाओं का लोकार्पण तथा राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा तैयार की गई विज्ञान, गणित एवं अंग्रेजी विषयों की शिक्षक संदर्शिका का विमोचन किया। इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा विभाग की उपलब्धियों पर लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने सभी मेधावी छात्र-छात्राओं तथा मेरिट सूची में स्थान बनाने वाले विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नकल, मेहनत करने वाले विद्यार्थियों के हक पर डकैती डालने जैसा है। यह अन्य लोगों को भी अनैतिक तरीके अपनाने को प्रेरित करती है। नकल माफिया समाज के सबसे बड़े दुश्मन हैं, जो विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करके शिक्षण संस्थानों को अपवित्र करते हैं। ऐसे लोगोंं का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए तथा प्रशासन को इनसे सख्ती से निपटना चाहिए। आज से लगभग 06 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद नकल के लिए बदनाम था। धीरे-धीरे इसमें सुधार हुआ। नकल बन्द हुई। सामूहिक नकल के मामलों पर केन्द्रों को डिबार किया गया। प्रबन्धक, प्रधानाचार्य, व्यवस्थापक तथा जिला विद्यालय निरीक्षक को इसके लिए जिम्मेदार बनाया गया। सख्त कार्यवाही की गई। मुख्यमंत्री जी ने साफ-सुथरे माहौल में, उन्मुक्त और भयमुक्त वातावरण में नकल विहीन परीक्षाएं कराने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग को बधाई दी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नकल हम तभी रोक सकते हैं, जब पर्याप्त संख्या में शिक्षक हों, वे समय पर विद्यालय जाएं तथा कक्षाएं लें, जहां शिक्षकों की कमी है, वहां उनकी नई तैनाती की व्यवस्था हो। विद्यालयों में विज्ञान, गणित तथा अंग्रेजी के शिक्षक अनिवार्य रूप से होने चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विगत 06 वर्षों में पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से 01 लाख 62 हजार से ज्यादा शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड या बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में नियुक्त किया गया। शिक्षकों की इतने बड़े स्तर पर सरकारी नियुक्ति देश के किसी अन्य राज्य में नहीं हुई। संस्कृत बोर्ड के विद्यालयों में भी पठन-पाठन का माहौल बनाने के लिए मानदेय पर शिक्षकों को रखा गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले परीक्षा लेने, परिणाम आने तथा नये सत्र में प्रवेश में लम्बा समय लगता था। पठन-पाठन के लिए बहुत कम समय मिलता था। उस समय उन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग को परीक्षा लेने तथा परिणाम आने के कार्यों को एक माह में पूरा करने का लक्ष्य दिया था। अब उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 15 दिनों के अन्दर परीक्षाएं सम्पन्न कराते हुए 14 दिनों में परिणाम घोषित किया है। देश में यह प्रथम बार हुआ है। अब नया सत्र भी समय से प्रारम्भ हो जाएगा। इस वर्ष परीक्षा की शुरुआत में कोविड महामारी की चौथी लहर का खतरा सामने था। इसी दौरान प्रदेश में नगर निकायों के चुनाव भी शुरू हुए। पूरी सतर्कता के साथ सकुशल और समय पर परीक्षा कार्य सम्पन्न हुए। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं के परिणाम आने के बाद अन्य बोर्डों के परिणाम आये।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयास होना चाहिए कि पूरे वर्ष भर का शैक्षिक कैलेण्डर तैयार किया जाए। छात्रों को स्कूल कैम्पस में पठन-पाठन के लिए या अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों में उनके भ्रमण के लिए अधिक समय मिलना चाहिए। थ्योरी के साथ ही, प्रैक्टिकल भी होना चाहिए। प्रैक्टिकल का कार्य लैब के साथ ही अन्य संस्थानों के कार्यों को व्यावहारिक रूप से देखने के माध्यम से भी होना चाहिए। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इस सम्बन्ध में बहुत अच्छा प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 06 वर्षों में शिक्षा विभाग में व्यापक परिवर्तन के कार्य हुए हैं। ऑपरेशन कायाकल्प इसका एक उदाहरण है। बेसिक शिक्षा परिषद के 01 लाख 33 हजार विद्यालयों में ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से बहुत अच्छे कार्य किए गए हैं। सरकार के आह्वान पर जनसहभागिता से इन विद्यालयों में अच्छी फर्श, फर्नीचर, बालक-बालिकाओं के लिए टॉयलेट, पेयजल की सुविधा, स्मार्ट क्लासेज, लैब तथा लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की तर्ज पर ही माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों का भी जनसहभागिता और सी0एस0आर0 निधि से कायाकल्प किया जाना चाहिए। इन विद्यालयों में अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर, फर्नीचर, टॉयलेट, पेयजल की सुविधा, सोलर पैनल, खेल के मैदान की सुविधा दी जानी चाहिए। विद्यालय के पुरातन छात्रों के सम्मेलन के माध्यम से इन कार्यों में उनकी सहभागिता ली जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हाल ही में पंचायतीराज विभाग द्वारा ‘उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना’ की शुरूआत की गई है। इसके अन्तर्गत किसी भी ग्राम पंचायत का कोई व्यक्ति, जो देश व दुनिया में कहीं भी रह रहा हो, वह अपने गांव में जनसुविधा का कोई कार्य जैसे हॉस्पिटल, कन्वेंशन सेन्टर या अन्य कोई कार्य कराना चाहता है, तो मातृभूमि योजना के अन्तर्गत कार्य की 60 प्रतिशत धनराशि व्यक्ति देगा तथा शेष 40 प्रतिशत राज्य सरकार योगदान देगी। भवन का नामकरण उस व्यक्ति के पूर्वजों के नाम पर किया जाएगा। इसी प्रकार विद्यालयां में भी लैब, लाइब्रेरी, डिजिटल लाइब्रेरी, इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्य तथा अन्य कार्यों में इच्छुक व्यक्ति योगदान दे सकते हैं, इसके लिए पहल करनी होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा से जुड़े बच्चों का यह अधिकार है कि वे टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना सीखें। सरकार के साथ प्रबन्धन का भी दायित्व बनता है कि उन्हें इसके लिए अनुकूल माहौल दें। सरकार ने इसके लिए अपने स्तर पर प्रयास प्रारम्भ किए हैं। तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 02 करोड़ युवाओं को टैबलेट/स्मार्टफोन प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे शासन की योजनाओं के साथ जुड़ सकें। इसके माध्यम से युवाओं को शासन की योजनाओं से अवगत कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री स्टार्टअप योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से जुड़ने में यह टैबलेट/स्मार्टफोन उपयोगी साबित होंगे। बालिकाएं मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगी। विद्यार्थियों के साथ-साथ विद्यालयों को भी सरकारी योजनाओं की जानकारी होनी चाहिए। योजनाओं के बारे में जानकारी से रास्ता आसान हो जाता है। टैबलेट/स्मार्टफोन इस बारे में गाइड का कार्य करेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में कोरोना जैसी महामारी को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त हुई। लोगों को निःशुल्क टेस्ट, उपचार और वैक्सीन की सुविधा प्रदान की गयी। कोरोना पर भारत ने प्रभावी नियंत्रण किया। कोरोना के कारण छात्रों को अगली कक्षा में प्रोमोट करना पड़ा। इस समस्या के निराकरण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ऑनलाइन परीक्षा की योजना बनायी गयी। विद्यार्थी के मन में पूरी क्षमता से परीक्षा को उत्तीर्ण करने का भाव होना चाहिए। यह भाव उन्हें नयी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। इसीलिए उस समय ऑनलाइन परीक्षा कराने के लिए टैबलेट/स्मार्टफोन दिया गया। यह कार्यक्रम अभी भी जारी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बच्चों को तकनीक के इस्तेमाल की कला अभी से सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए। बच्चों को प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने के लिए अभी से तैयारी करनी चाहिए। विभिन्न बोर्डां से जुड़े विद्यार्थियों को अपने स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा के योग्य बनने के लिए तैयार होना होगा। तकनीक का उपयोग करते हुए बडे़ कार्य हो सकते हैं। आज माध्यमिक शिक्षा विभाग और बेसिक शिक्षा विभाग तकनीक का अधिकाधिक उपयोग करके प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में नयी क्रांति लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके परिणाम आने वाले समय में सामने आएंगे। यही कारण है कि लगातार इन संस्थानों में छात्रों की संख्या बढ़ी है। विद्यालय छोड़ने की दर कम हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बहुत सारे विद्यार्थी धनाभाव के कारण कोचिंग प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते। उनके लिए प्रदेश सरकार द्वारा सभी जनपदों में मुख्यमंत्री अभ्युदय कोचिंग की व्यवस्था की गयी है। यह कोचिंग नीट, आई0आई0टी0, जे0ई0ई0 सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रही है। इनमें प्रत्यक्ष रूप से और वर्चुअली दोनों प्रकार की कक्षाओं की व्यवस्था है। संघ लोक सेवा आयोग की इस वर्ष की सिविल सेवा परीक्षा में अभ्युदय कोचिंग से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले उत्तर प्रदेश के 23 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भी 98 अभ्यर्थियों ने भी सफलता प्राप्त की है। अन्य विभिन्न परीक्षाओं में भी 250-300 बच्चे सफल हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2020 में कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने पर उत्तर प्रदेश के लगभग 15 हजार बच्चे कोटा, राजस्थान में फंस गये थे। स्पेशल बसें भेजकर उनको वहां से सुरक्षित वापस लाया गया। जनपद प्रयागराज में फंसे बच्चों को भी उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों द्वारा उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने का कार्य किया गया। उस समय प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री अभ्युदय कोचिंग शुरू करने का निर्णय लिया गया। अभ्युदय का शाब्दिक अर्थ सांसारिक उत्कर्ष होता है। इस कोचिंग से सांसारिक उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। यू0पी0एस0सी0 या यू0पी0पी0एस0सी0 आदि विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को सफल अभ्यर्थियों द्वारा कोचिंग प्रदान की जाती है। यह सफल अभ्यर्थी आई0ए0एस0/ पी0सी0एस0 आदि परीक्षाओं को उत्तीर्ण कर जनपद में विभिन्न पदों पर कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के छात्र-छात्राओं ने देश में अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं में स्थान बनाना