लखनऊ : आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि 4 माह के लिए योग निद्रा में चले गए थे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में देवउठनी एकादशी से उनका शयनकाल समाप्त हो रहा है। एकादशी तिथि का प्रारंभ 3 नवंबर को शाम 7:30 बजे से होगा जो 4 नवंबर की शाम 6:08 बजे समाप्त होगा। उदया तिथि के अनुसार देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर को मनाई जाएगी। सनातन धर्म में एकादशी का व्रत सबसे कठिन है।
संसारी के यश वैभव देने वाले शुक्र देव अस्त हैं, इसके चलते देवोत्थान एकादशी के बाद भी शुभ कार्य नहीं शुरू होंगे। शुक्र 25 नवंबर को उदय होंगे। जिसके साथ ही शुभ कार्य के मुहूर्त हैं। देवोत्थान एकादशी को तुलसी विवाह व पूजन होगा क्योंकि तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से पहले ही हो चुका है साथ ही इस आयोजन में देवता शामिल हैं। इसलिए दैत्य गुरु शुक्राचार्य के पूजन का इसमें कोई महत्व नहीं है।
विवाह के लिए 11 लग्न
शुक्र अस्त होने से विवाह की कम लग्न ही मिल रही हैं।
नवम्बर में विवाह मुहूर्त- 25, 26, 27, 28 व 30 नवम्बर।
दिसम्बर माह में मुहूर्त- 2, 3, 7, 8, 11 व 14





