
मेरठ केवल अंग्रेजी में पढ़े जाने वाले इंजीनियरिंग, लॉ और प्रोफेशनल कोर्स में भाषाई बंदिशों को तोड़कर हिंदी जमीन पर उतरने लगी है। मेरठ-सहारनपुर मंडल के नौ जिलों को उच्च शिक्षा दे रहे चौधरी चरण सिंह विवि में बीबीए-बीसीए और लॉ सहित प्रोफेशनल कोर्स को न केवल हिंदी में पढ़ने बल्कि पेपर देने का भी विकल्प है। इंजीनियरिंग कोर्स को हिंदी में पढ़ने का विकल्प हाल ही में एआईसीटीई ने दिया है। मेडिकल कोर्स में भी हिंदी की पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं।
विवि से संबद्ध जिलों में 25 हजार छात्र प्रतिवर्ष लॉ कोर्स में प्रवेश लेते हैं। इसमें से 30 फीसदी छात्र हिंदी में परीक्षा देने का विकल्प चुनते हैं। वहीं, प्रोफेशनल कोर्स में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में पेपर प्रकाशित होता है, लेकिन हिंदी में पेपर केवल 12 फीसदी छात्र ही देते हैं। प्रोफेशनल कोर्स में अधिकांश छात्र अंग्रेजी माध्यम को चुनकर इसी में पेपर देते हैं।
हिंदी में जिन्होंने पाई पहचान
– डॉ.विपिन शर्मा, कैंपस से एमए, एमफिल, पीएचडी। वर्तमान में उत्तराखंड में असिस्टेंट प्रोफेसर। हिंदी पढ़ाने के हिंदी सिनेमा और समकालीन साहित्य पर लेखन कर रहे हैं।
– डॉ. सुनील शर्मा, केंद्रीय हिंदी संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर। मीडिया और भाषा विज्ञान पर काम कर रहे हैं।
– पवन भारती, कैंपस से उत्तीर्ण हैं और मुंबई से राजभाषा अधिकारी हैं।
– डॉ. अशोक स्वामी, अभिप्रेरणा संस्थान बीकानेर से हैं। ऑनलाइन-ऑफलाइन हिन्दी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं। यूट्यूब पर 30 हजार विद्यार्थियों ही हिंदी की कक्षाएं लेते हैं।