
वाराणसी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के मैदान में भाजपा की ही दबदबा रहा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद पूर्वांचल में उम्मीदों को परवान दे रही समाजवादी पार्टी को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में करारी शिकस्त मिली है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद पूर्वांचल में उम्मीदों को परवान दे रही समाजवादी पार्टी को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में करारी शिकस्त मिली है। पंचायत सदस्यों के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद आपसी कलह और फूट की वजह से समाजवादी पार्टी पस्त नजर आ रही है। कई जिलों में बहुमत के करीब सदस्य होने के बाद भी सपा उन्हें सहेज नहीं पाई और भाजपा ने आसानी से उन्हें अपने पाले में कर लिया।
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में नतीजों ने साफ कर दिया है कि भाजपा की जड़े गहरी हैं। हालांकि, मजबूत गढ़ आजमगढ़ और बलिया में सपा ने अपने अध्यक्ष निर्वाचित कराकर पूरब में लाज बचाई है। पूर्वांचल के 10 जिलों में भाजपा छह, सपा दो, अपना दल एक और एक निर्दलीय जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं।
स्नातक और शिक्षक एमएलसी चुनाव में पटखनी खा चुकी सत्तासीन भाजपा पंचायत चुनाव में पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी। हालांकि पंचायत सदस्यों के चुनाव में सपा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा और मिर्जापुर, चंदौली, सोनभद्र और जौनपुर में तो सपा बहुमत के करीब थी। मगर, धनबल और बाहुबल के चुनाव में भाजपा की सधी रणनीति कई मायनों में कारगर रही।



