भोपाल. संत हिरदाराम प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान महिला चिकित्सा महाविद्यालय एवं संत हिरदाराम योग एवं नेचर क्योर आरोग्य केन्द्र द्वारा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संत हिरदाराम चिकित्सा महाविद्यालय के निदेशक हीरो ज्ञानचंदानी ने किया।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में योगगुरु बाबा रामदेव जुड़े। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आज कॉर्पोरेट कल्चर में चिकित्सा का क्षेत्र एक व्यवसाय में बदल गया है, जहां कई गैरजरूरी उपचार सिर्फ इसलिए किए जाते हैं, जिससे डॉक्टरों की कमाई बढ़ सके। इन गैरजरूरी उपचार के द्वारा मनुष्य के शरीर को जहरीला कर दिया जाता है। आज हेल्थ इंडस्ट्री 100-200 हज़ार करोड़ की है। उन्होंने कहा कि मैं उन चिकित्सकों को सादर नमन करूंगा जो भगवत स्वरूप हैं और दूसरों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर उन्हें जीवनदान दे रहे हैं। मनुष्य यदि शांति के पथ पर चलकर प्रकृति का अनुसरण करता है, तो वह सदैव स्वस्थ रहेगा। प्रकृति का अनुसरण नहीं करेंगे, तो विकृति होगी। नैचुरोपैथी और योग स्वस्थ जीवन के मूलमंत्र हैं। उन्होंने कहा कि परम श्रद्धेय सिद्धभाउजी सच्चे संत हैं, जो पूरी तरह से जनसेवा में समर्पित रहते हैं। बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग के क्षेत्र में महाविद्यालय एवं अस्पताल संचालित हो रहा है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता ही व्यक्ति की सबसे बड़ी पूंजी : संत सिद्धभाउ
शहीद हेमू कालानी एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष एवं संत हिरदाराम के उत्तराधिकारी संत सिद्धभाउजी ने कहा कि इस कोरोना काल ने पूरे विश्व को सबक सिखाया है। व्यक्ति कितना भी बडा धनवान हो, कितना भी बडा़ पदाधिकारी हो, लेकिन इंसान की सबसे बड़ी निधि है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता। यह निधि जिसके पास सबसे ज्यादा हो, वह सबसे बड़ा धनवान है। परम पिता परमेश्वर हमें सचेत कर रहे हैं कि हम उठें और योग, प्राणायाम, प्राकृतिक चिकित्सा, सात्विक आहार एवं अपक्व आहार द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं, उसे प्रबल करें ताकि कोरोना या उससे भी बड़ा कोई संक्रमण या बीमारी हमें छू भी ना सकें। हम और बाबा रामदेव जी कल्याण के लिए आपस में जुडे़ हुए हैं। बीमार व्यक्ति ना सिर्फ स्वयं के लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी बोझ है। जब हम बीमार होते हैं तो किसी भी कार्य में मन नहीं लगता और आनंद नहीं आता। असली आनंद हमारे भीतर है। प्राचार्य डॉं हेमांशु शर्मा ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि पिछलें दो वर्षों से कोरोना काल में हम सब ने यह अच्छी तरह से जाना कि प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग का क्या महत्व है। डॉ. गुलाबराय टेवानी ने सभी का आभार प्रकट किया।