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आज़ादी की लिखी नई इबारत – गरीब , अश्हाय , लाचार बेटियों का किया कन्यादान

देश में आज़ादी का जश्न अपने अपने अंदाज में हर किसी में मनाई है , पर कोई है जिसने आज़ादी पर्व की नई इबारत लिखी है | बेटियां ईश्वर द्वारा दी गई ऐसा उपहार हैं, जिसको पाने वाले कि जिंदगी खुशियों से भर जाती है और बेटियां किस्मत वालों को ही मिलती हैं , पर आज भी बेटियों को जन्म लेते ही बोझ समझा जाता है , पता चलते ही उन्हें कोख में ही मार दिया जाता है , आज भी हमारी सरकार को बेटी बचाव और बेटी पढ़ाव का नारा देना पड़ रहा है | बेटियाँ कुदरत का नायब तोहफा है पर आज समाज में उन गरीब बेटियों की पढ़ाई लिखाई नहीं हो पाती , कितनी ही बेसहारा गरीब बेटियों की शादी नहीं होती पाती पर आज भी इस समाज में ऐसे लोग है जो उन बेसहारा गरीब बेटियों को अपनी बहन, बेटी मान कर उनके हाथ ही नहीं पीले करवाता ,है वरन जिंदगी भर उनके सुख दुःख में हमेशा खड़ा रहता है |, हम बात कर रहें है एक ऐसे व्यक्ति की जिसने अपनी पूरी ज़िन्दगी ही गरीब बेटियों के नाम कर दी है और मरने के बाद अपने शरीर का दान भी कर दिया है जिससें वो भी दूसरों के काम आ सके , जी हाँ धर्मवीर सिंह बग्गा जिसने लगातार 18 वर्षों से आज़ादी का पर्व नए अंदाज में मना रहा है और आज़ादी की एक नई इबारत लिखी रहा है |

अम्बेडकर नगर जिले के व्यवसायी समाजसेवी धर्मवीर सिंह बग्गा और उनकी पत्नी का। सिख परिवार के धर्मवीर सिंह बग्गा बचपन से ही गुरुद्वारे में जाकर अरदास करने और गुरुग्रंथ साहब का पाठ करने के कारण हमेशा गरीब , बेसहारा लोगों की मदद में आगे रहे। इसी को बड़े स्तर पर करने के लिए उन्होंने सेवाहि धर्म: नाम की एक संस्था का गठन किया और अपने साथियों के साथ मिलकर पिछले लगभग 18 सालों से समाज की गरीब और बेसहारा परिवार की सभी जाति धर्म की बेटियों का विवाह अपने निजी खर्च पर पूरी भव्यता के साथ करते चले आ रहे हैं और अब तक लगभग 900 बेटियों की शादी उन्होंने बेटियों जाति धर्म और रीति रिवाज के अनुसार करा चुके हैं। इस वर्ष भी आज़ादी के इस पवन पर्व पर श्री बग्गा 40 ऐसी ही गरीब और बेसहारा बेटियों को अपने आंगन से विदा करने का वीणा उठाया है , जिसमे किसी के पिता नहीं तो कोई अनाथ है और कोई इतना गरीब अपनी बेटी की शादी नहीं कर सकता । धर्मवीर बग्गा और उनकी पत्नी ने इस पुनीत कार्य के लिए इस बार गणतंत्र दिवस का अवसर चुना और वर वधू के अलावा उनके मेहमानों के साथ साथ अपने मित्रों और हजारों मेहमानों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के द्वारा बेटियों का कन्यादान किया।
जिन 40 बेटियों के हाथ पीले किये गए हैं, इन जोड़ों को प्रधानमंत्री के एक राष्ट्रीय कार्यक्रम स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान से जोड़ते हुए धर्मवीर सिंह बग्गा ने इस सभी जोड़ों को जीवन मे न सिर्फ स्वच्छ रहने का संकल्प दिलाया, समाज का ताना बाना कुछ ऐसा ही है कि कई बार कुछ ऐसे लोगों को ऐसी जगह पर मौत का सामना करना पड़ता है, जब वहां उनका अपना कोई नही होता है। पिछले कई सालों से ऐसे लावारिश हालात में मरने वालों का अंतिम संस्कार भी धर्मवीर सिंह बग्गा अपने खर्च से करते हैं। उनका यह कार्य न सिर्फ अम्बेडकर नगर बल्कि आसपास के फैज़ाबाद, सुल्तानपुर बस्ती, आज़मगढ़ और जौनपुर जिलों में भी लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार कराते हैं।