लखनऊ ( DNM NETWORK):लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद हो चुका है पीएम मोदी से लेकर दिग्गज नेता लगातार यूपी में दौरा कर रहे है वही गठबंधन भी जोड़ तोड़ के साथ के तैयारियों में जुटा है कहते है दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है क्योकि यूपी की 80 लोकसभा सीटें चुनाव में बड़ा फेरबदल कर सकती है। लेकिन समाजवादी पार्टी में टूट का सिलसिला लगातार जारी है अपने नेताओं को थामने की रणनीति में सपा विफल साबित हो रही है। पूर्व मंत्री संजय गर्ग बुधवार को लखनऊ में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। दूसरी ओर, सपा के महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने बदायूं के सहसवान में अपने समर्थकों की बैठक की। बैठक में तय हुआ कि वे सेक्युलर सोच के उम्मीदवार को समर्थन देंगे, भले ही वह किसी भी दल का हो। समाजवादी पार्टी में असंतोष के स्वर पिछले साल नवंबर में ही सुनाई देने लगे थे, जब खीरी संसदीय सीट से दो बार सांसद रहे कद्दावर नेता रहे रवि प्रकाश वर्मा ने सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे। उसके बाद हाल ही में जब सपा ने राज्यसभा चुनाव के तीन प्रत्याशी उतारे, तब यह अंसतोष भगदड़ में तब्दील हो गया। सपा के राष्ट्रीय महासचिव और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी और विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया। सपा में स्वामी प्रसाद मौर्य और विधानसभा में पार्टी के तत्कालीन मुख्य सचेतक मनोज पांडे दोनों ही विपरीत ध्रुव की तरह माने जाते थे। दोनों एक-दूसरे को भाजपा का एजेंट बताते थे। लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान इन दोनों नेताओं ने सपा से अलग रास्ता अपना लिया। मनोज पांडे समेत सपा के सात विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया। यही नहीं राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों को तय करने में पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पांच बार के सांसद रहे सलीम शेरवानी ने भी राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया। उनका चुनाव क्षेत्र बदायूं रहा है। इसके बाद सपा ने बदायूं से धर्मेंद्र यादव के बजाय शिवपाल यादव को अपना प्रत्याशी बनाया।
बहरहाल अब देखना यह होगा की लगातार लग रहे झटको से समाजवादी पार्टी कैसे उभरेगी या फिर पार्टी को इस नुकसान का हर्जाना लोकसभा चुनाव में भुगतने को मिलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।



