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Gonda : धर्मस्थल को बना दिया जुए का अड्डा वीरान हो चुका सकरौरा घाट नहीं चेत रहे हैं जिम्मेदार

गोंडा करनैलगंज(प्रिंस कुमार,जिला संवाददाता ):– तहसील करनैलगंज क्षेत्र अंतर्गत पौराणिक स्थल सकरौरा घाट अब जनप्रतिनिधियों व प्रशासनीक अधिकारियों के उदासीनता के चलते अस्तित्व खो चुका है। सकरौरा घाट से क्षेत्र के लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है। इस घाट पर मां सरयू की पवित्र धारा प्रवाहित होती थी। जानकारी के अनुसार एक बार भगवान राम अपने चारों भाइयों समेत अगस्त्य मुनि के दर्शन हेतु आश्रम में पधारे थे। उस समय अपने भाइयों समेत भगवान राम ने सरयूनदी के तट पर रात्रि में विश्राम किया था। बाबा आत्माराम ने उसी विश्राम स्थल की स्मृति में सकरौरा घाट का निर्माण कराया था। कुछ दिन बाद अंग्रेजी शासन के दौरान शहर की बस्ती से घाट तक सड़क का निर्माण कराया था। सड़क की मरम्मत न होने से हालत बिगड गयी और नगर परिषद द्वारा 1929 में खडन्जे का निर्माण कराया गया। सकरौरा घाट किसी जमाने में एक बहुत ही सुन्दर घाट हुआ करता था, घाट पर बना सगरा में गंदगी की भरमार है, सगरा के तीन तरफ से लोहे का एंगल लगा हुआ था जो काफी वर्ष पहले चोर काट ले गए, जिससे अब वहां पर कुछ ही लोहे एंगल के अवशेष बचे लगे हैं।घाट पर बनी सीढियों पर भी गंदगी है, घाट पर एक सगरा व धर्मशाला सहित कई मन्दिर बने हुए थे। स्नान के लिए पुरूष व महिलाओं के लिए अलग अलग घाट बना था, दोनो घाट पर टिन शेड बने हुए थे। जहां महिलाओं के तरफ बने टिन शेड तो गायब हो चुके, वहीं पुरूषों की ओर बने टीन शेड अभी लगे हैं। सकरौरा घाट पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशाल मेला लगता था। जिसमें दूर दराज व आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु मेला देखने आते हैं, रात में रूककर प्रातः स्नान कर मेला देखकर दूसरे दिन जाते थे। मेला का प्रभाव सत्तर के दशक में सरयू नदी की धारा में मोड़ आ जाने के कारण शुरू हुआ जिसमें पहले धीरे धीरे मेले का असर कम हुआ और बाद में घाट वीरान बनकर ही रह गया। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के उदासीनता के चलते चार में से दो धर्मशालाएं व दो मन्दिर भी पूरी तरह गिर चुकी हैं। अन्य खण्डहर में तब्दील हो चुकी हैं। घाट की सुन्दरता को आसामाजिक तत्वों व जुआडियों ने अपना अड्डा बना लिया है। कई बार क्षेत्र के समाजसेवियों ने आवाज उठाई तो सौंद्रीकरण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई।