लखनऊ : मामूली बकाये पर आम उपभोक्ताओं की बत्ती काट देने वाला पावर कार्पोरेशन सरकारी महकमों से बिजली बिल वसूल करने में नाकाम साबित हो रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी विभागों से बिजली के बिल की वसूली नहीं हो पा रही है। मौजूदा समय में सरकारी विभागों पर 2296 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। दिलचस्प बात यह है कि सरकारी विभागों के बिजली बिल भुगतान की केंद्रीयकृत व्यवस्था लागू होने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को पत्र भेजकर वास्तविक बकाये के संबंध में वितरण खंडवार प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने को कहा है।
पावर कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार की ओर से सभी विद्युत वितरण निगमों के प्रबंध निदेशकों को भेजे गए पत्र में बिलिंग सिस्टम से प्राप्त आंकड़ों का हवाला देते हुए अप्रैल 2022 तक सरकारी विभागों पर 2296.84 करोड़ रुपये बकाया होने की बात कही गई है। खास बात यह है कि मई में वित्त विभाग की ओर से एक शासनादेश जारी करके सभी विभागों के लिए बिजली बिल के भुगतान की केंद्रीयकृत व्यवस्था लागू की गई थी। इसके तहत विभाग को आवंटित बजट से सीधे बिजली के बिल के भुगतान का प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद पावर कार्पोरेशन के खाते में बकाया धनराशि नहीं पहुंची है।
पावर कार्पोरेशन के एमडी ने बिजली कंपनियों के एमडी को निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक वितरण खंड में एक सप्ताह के भीतर केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत प्राप्त धनराशि का विभागवार, कनेक्शनवार समायोजन कर लिया जाए जिससे बिलिंग सिस्टम में कनेक्शनवार विभागों का बकाया ई-पोर्टल पर सही-सही प्रदर्शित हो। पंकज कुमार ने इस संबंध में मुख्यालय को प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने को भी कहा है जिससे अभी तक के भुगतान की स्थिति स्पष्ट होने के साथ-साथ आगे के बकाये के बारे में ई-पोर्टल पर सही जानकारी उपलब्ध हो सके।
विद्युत वितरण निगम बिलिंग सिस्टम पर बकाया (अप्रैल 2022)
पूर्वांचल 461.74 करोड़
मध्यांचल 534.82 करोड़
दक्षिणांचल 921.23 करोड़
पश्चिमांचल 373.13 करोड़
केस्को 5.91 करोड़