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Up Election Update : पीएम – सीएम के गढ़ में 111 सीटों तक सिमटा चुनाव

रविवार को पांचवें चरण के लिए मतदान के बाद अब उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी और सीएम योगी के गढ़ माने जाने वाले पूर्वांचल की 27 प्रतिशत यानी 111 विधानसभा सीटों तक चुनाव सिमट कर रह गया है। पिछले चुनाव में मोदी लहर के साथ चली पुरवाई ने दो-तिहाई से ज्यादा सीटों पर सत्ताधारी भाजपा काे जीत दिलाई थी। पिछले चुनाव में सिर्फ 19 सीटें जीतने वाली बसपा को तो आधे से अधिक 11 सीटें इसी क्षेत्र से मिली थीं। तब सत्ता गंवाने वाली सपा की झोली में आई 47 सीटों में से 13 पूर्वांचल से ही थी। अब इन सीटों पर सभी की नजर है। तीन और सात मार्च को इस क्षेत्र में मतदान के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित सभी पार्टियों के दिग्गज नेता धुंधाधार चुनाव प्रचार में जुटे हैं। अबकी पूर्वांचल की जनता किस पार्टी को कितनी ताकत देती है, यह तो 10 मार्च को मतगणना के बाद ही पता चलेगा, लेकिन पूर्वांचल के चुनाव में उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है जो खुद चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं। ‘111 सीटों की पुरवाई’ के बढ़ते चुनावी ताप पर पेश है
कभी पिछड़ेपन और जातीय गणित में उलझा रहने वाला पूर्वांचल अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाला मजबूत गढ़ माना जाता है। वाराणसी से मोदी के सांसद होने और गोरखपुर से योगी के होने से पांच वर्ष पहले के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र से सपा-बसपा को उखाड़ फेंका था। दो-तिहाई सीटों पर भगवा लहराने वाली भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के संग क्षेत्र की 75 प्रतिशत सीटों पर कब्जा जमाया था। पांच वर्ष के विकास संबंधी बड़े-बड़े काम और मोदी-योगी के जबरदस्त प्रभाव के दम पर भाजपा एक बार फिर पूर्वांचल में पहले से बेहतर प्रदर्शन दोहराने के लिए जुटी हुई है, लेकिन अबकी उसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। एक तो यही कि पिछले चुनाव में उसने जिस ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा को साथ रखा था, वह इस बार सपा संग भाजपा के खिलाफ मैदान में हैं।
इसी तरह योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान सहित कुछ विधायकों के चुनाव से ठीक पहले बगावत कर सपा के साथ जाने वालों में से भी ज्यादातर पूर्वांचल से ही हैं। वैसे तो भाजपा इन सबसे किसी तरह के नुकसान की बात सिरे से खारिज करती रही है, लेकिन उसने भी नया दांव चलते हुए पूर्वांचल में प्रभाव रखने वाले निषाद वोट बैंक को हासिल करने के लिए निषाद पार्टी के डा. संजय निषाद को 16 सीटें देकर अपने साथ किया है। ऐसा होने से भाजपा को सुभासपा से किसी तरह के नुकसान की भरपाई होने की उम्मीद है। भाजपा ने अपना दल(एस) का भी न केवल साथ बनाए रखा है, बल्कि पहले से कहीं ज्यादा तव्वजो देते हुए पिछली बार से छह सीटें ज्यादा कुल 17 दी हैं।
गौर करने की बात यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सुभासपा और भाजपा के बागियों के साथ से अबकी पूर्वांचल से बड़ी आस है। पिछले चुनाव में कुल 47 सीटें जीतने वाली सपा को 111 सीटों में से 13 मिली थी। जहां तक बसपा की बात है तो कुल 19 सीटें जीतने वाली बसपा को इस क्षेत्र की 11 सीटों पर सफलता मिली थी। बसपा प्रमुख मायावती को लगता है कि अबकी पहले से कहीं ज्यादा सीटें उसे क्षेत्र से भी मिलेंगी। 111 में से मात्र एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पिछली बार सपा से गठबंधन के चलते क्षेत्र की कई सीटों पर नहीं लड़ रही थी, लेकिन अबकी लगभग सभी सीटों पर उतरी कांग्रेस को उम्मीद है कि न केवल उसके वोट बैंक में इजाफा होगा, बल्कि सीटें भी बढ़ेंगी।
पूर्वांचल की लड़ाई इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भी गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। चुनावी समीक्षकों की नजर इस पर भी है कि मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव अधिक मतों से जीतते हैं या गोरखपुर से योगी? यदि मैनपुरी सपा का पुराना गढ़ रहा है तो यहां आजमगढ़ से अखिलेश सांसद हैं। उनके पिता सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी सांसद रहे हैं। इस क्षेत्र में यादव-मुस्लिम वोटों का समीकरण भी अच्छा है। इसके इतर भाजपा इससे उत्साहित है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं। उनका प्रभाव बाकी दलों के समीकरण प्रभावित कर सकता है।

वर्ष 2017 के चुनाव में यूं बटी थीं 111 सीटें

भाजपा : 75
सपा : 13
बसपा : 11
अपनादल(एस) : 05
सुभासपा : 04
कांग्रेस : 01
निषाद पार्टी : 01
निर्दलीय : 01