उत्तर प्रदेश लखनऊ

बीटेक छात्रा ने शीशी-बोतलों से बनाई ईंट, बेमिसाल मजबूती के साथ इसकी लागत भी है कम ।

डीएनएम न्यूज़ नेटवर्क
डीएनएम न्यूज़ नेटवर्क

गोरखपुर. मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) की बीटेक छात्रा रहीं, मानसी त्रिपाठी ने कबाड़ के शीशे (ग्लास व बोतलों) का इस्तेमाल कर एक ऐसी ईंट तैयार की है, जो सामान्य ईंट से दोगुना मजबूत है। यह ईंट पानी कम सोखती है और इसे बनाने में 15 प्रतिशत लागत भी कम आई है। खास बात यह है कि यह शोध लैब में न करके ईंट-भट्ठे पर किया गया है। पानी काफी कम सोखने की वजह से सीलन की गुंजाइश भी नहीं है। स्फ्रिजर पब्लिशिंग हाउस के एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल ने शोधपत्र को परखने के बाद इसे प्रकाशन के लिए स्वीकृत कर लिया है।

विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के स्वायल एंड फाउंडेशन इंजीनियरिंग (भू-तकनीकी) विशेषज्ञ डॉ. विनय भूषण चौहान के मार्गदर्शन में सिविल इंजीनियरिंग विभाग की छात्रा मानसी त्रिपाठी ने वर्ष 2020 में शोध किया। मानसी इस समय आईआईटी बीएचयू से एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग से एमटेक कर रही हैं।

शोध के दौरान अपशिष्ट ग्लॉस पाउडर मिश्रण से बनाई गई ईंटों की गुणवत्ता की जांच लैब में हुई। पाया गया कि अपशिष्ट ग्लास पाउडर के मिश्रण से भारतीय मानक 1070 (1992: आर 2007) के अनुसार ए श्रेणी की ईंट बनाई जा सकती है।

मानसी के शोध पत्र को स्फ्रिजर पब्लिशिंग हाउस के एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल इनोवेटिव इंफ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस में इवेल्यूएशन ऑफ वेस्ट ग्लॉस पाउडर टू रिप्लेस द क्ले इन फायर्ड ब्रिक मैन्युफैक्चरिंग एज ए कंस्ट्रक्शन मटेरियल शीर्षक से अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा।