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आगरा कोरोना में संजीवनी बना अस्पताल इस कोहराम में भी संजीविनी बन कर उभरा है।

डीएनएम न्यूज़ नेटवर्क
डीएनएम न्यूज़ नेटवर्क

आगरा. सहित पूरे देश मे कोरोना कोहराम मचा रहा है लेकिन आगरा में अब एक हॉस्पिटल इस कोहराम में भी संजीविनी बन कर उभरा है,एलोपैथी से ज्यादा होम्योपैथी को कारगर साबित कर निजी हॉस्पिटल ने एक नजीर पेश की है,जहाँ पूरे हॉस्पिटल में अन्य हॉस्पिटलों की तरह न ख़ौफ़ दिखाई दिया न डॉक्टरों के साथ मरीजों और उनके तीमारदारों में पैनिक होने की स्थिति देखिए आगरा से ये खास खबर

 

कोरोना का नाम सुनते ही लोगो मे ख़ौफ़ समा जाता है तो परिवार के लोग मरीज को बचाने के लिए पैसा तक पानी की तरह बहाने पर मजबूर हो जाते है ,तो दुआओं का दौर भी शुरू हो जाता है लेकिन ताजनगरी में एक ऐसा हॉस्पिटल है जहाँ कोरोना के मरीज ख़ौफ़ में है और न उनके तीमारदार तो डॉक्टर्स से लेकर इंटर्न तक आम मरीजो की तरह इनका इलाज कर रहे है,जी हां हम बात कर रहे है आगरा से करीब 18 किलोमीटर दूर नेमिनाथ हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की जहां होम्योपैथी से कोरोना का इलाज हो रहा है।

हमारी टीम जब यहाँ पहुंची तो कोरोना का ख़ौफ़ कमहि नजर ही नहीं आया,मरीज हो या तीमारदार पूरी तरह से कोरोना से बेख़ौफ़ नज़र आये,उनका कहना था कि यहाँ के डॉक्टर्स और स्टाफ उनका इतना ख्याल रखते है कि हमे किसी बात का कोई डर नही,तो दूसरी तरफ अन्य हॉस्पिटलों की तरह यहां मरीज को पैसा कमाने का जरिया भी नहीं समझा जा रहा,महज 3 हजार में डॉक्टर की विजिट से लेकर नर्सिंग चार्ज और खाने की व्यवस्था भी है,सबसे बड़ी बात ये है कि यहाँ उनका मरीज लावारिस महसूस नहीं करता बल्कि परिवार के सदस्य भी उनके साथ कमरों में रहते है,जरनल वार्ड के 3 हजार और डीलक्स रूम के 8 हजार चार्ज लिया जा रहा है।

यहाँ मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टर और उनका स्टाफ भी कोरोना से पूरी तरह बेफिक्र नज़र आया,उनका कहना था कि यहाँ मरीजो को सकारात्मक रखकर इलाज किया जाता है,हम दूर रहकर नहीं बल्कि पास जाकर मरीज का इलाज करते है,यहाँ का स्टाफ खुद पर और दवाइयों पर इतना भरोसा करते है कि मास्क और ग्लव्स तक नहीं पहनते,आप खुद सुनिए उनकी जुबानी
हॉस्पिटल के डायरेक्टर और मुख्य चिकित्सक डॉ प्रदीप गुप्ता ने बताया कि यहाँ लोगो को काफी राहत मिल रही है,यहाँ ऐसे ऐसे मरीज आते है जिनका ऑक्सीजन लेबल 55 से 60 तक ही होता लेकिन होम्योपैथी दवा से चंद घंटों में मरीज की स्थिति सुधरने लगती है,अगर 70 ऑक्सीजन लेबल वाला मरीज भी आता है तो उसे बिना ऑक्सीजन के ही ठीक कर ऑक्सीजन लेबल 85 से ज्यादा सिर्फ होम्योपैथी दवाओं से ही कर दिया जाता है,साथ ही उन्होंने बताया कि अगर कोरोना या ऑक्सीजन डाउन वाले मरीज पहले या दूसरे दिन आ जाये तो 3 से 5 दिनों में ठीक होकर वापस घर जा सकते है।

क्षेत्र बजाजा कमेटी के लोगो मे बताया की जहां एक ओर आगरा में न बेड मिल पा रहे है और न इलाज ऐसे में क्षेत्र बजाजा कमेटी ने हॉस्पिटल के साथ मिलकर यहाँ इलाज की व्यवस्था की है,जिसमे इलाज से लेकर खाने और तीमारदारों के रहने तक कि व्यस्था है