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Lucknow : मुख्यमंत्री ने राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ का सामूहिक गायन किया तथा प्रदर्शनी का अवलोकन किया

लखनऊ ( DNM DIGITAL): उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के रचयिता स्व0 बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ भारत की भक्ति व शक्ति की सामूहिक तथा शाश्वत अभिव्यक्ति का स्वरूप है। वन्दे मातरम् भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान अमर मंत्र बना था। विदेशी हुकूमत द्वारा दी जाने वाली अनेक यातनाओं की परवाह किए बिना भारत के प्रत्येक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा क्रान्तिकारी ने इस गीत के साथ प्रत्येक गांव तथा नगर में प्रभात फेरी के माध्यम से सामूहिक चेतना का प्रसार किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देशवासियों को राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर स्मरणोत्सव आयोजित करने के लिए प्रेरणा प्रदान की।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में राष्ट्रवाद के अग्रदूत बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी द्वारा सन् 1875 में रचित राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ‘वन्दे मातरम्’ के सामूहिक गायन एवं स्वदेशी का संकल्प कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ ‘वन्दे मातरम्’ गीत का सामूहिक गायन किया। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने संस्कृति विभाग द्वारा लगाई गयी राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ केवल एक व्यक्ति, जाति, मत, मजहब, क्षेत्र, वर्ग या भाषा का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि संस्कृत और बांग्ला भाषा की सामूहिक अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करते हुए, सम्पूर्ण भारत को एक राष्ट्र के भाव के साथ जोड़ने का अमर गीत है। इस गीत ने भारत की शाश्वत अभिव्यक्ति को देश वासियों के सामने प्रस्तुत किया था। यह वही भाव है, जो वैदिक वाक्य ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ से प्रकट होता है। प्रत्येक भारतीय के मन में यह अभिव्यक्ति सहज और सरल रूप से उस समय दिखायी दी, जब विदेशी हुकूमत ने सन् 1905 में बंग भंग के माध्यम से भारत की भुजाओं को काटने का दुस्साहसिक निर्णय लिया था। उस समय ‘वन्दे मातरम्’ गीत ने देशवासियों को एकजुट होकर ब्रिटिश हुकूमत का प्रतिकार करने की प्रेरणा दी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश की आजादी के आंदोलन के दौरान क्रांतिकारियों ने फांसी के फंदे को चूमते हुए ‘वन्दे मातरम्’ गीत का गायन किया था। यह गीत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले प्रत्येक स्लोगन का हिस्सा बना। वन्दे मातरम् भारत की सामूहिक अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए सम्पूर्ण देश को एकता के सूत्र में बांधने वाला ऐसा मंत्र बना, जिसके माध्यम से व्यक्ति जाति, मत और मजहब से ऊपर उठकर राष्ट्र के बारे में सोच सकता है। राष्ट्र प्रथम के भाव के साथ हम सब की सामूहिक अभिव्यक्ति राष्ट्र माता के प्रति होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी के उस अमर उपन्यास आनंद मठ पर आधारित है, जिसमें तत्कालीन बंगाल में अकाल व अभाव से ग्रसित जनता के स्वरों को उकेरा गया। बाद में इन स्वरों को सन्यासियों ने एक आंदोलन का रूप दिया। यह अमर गीत भारत को नई दिशा देने तथा सामूहिक चेतना को आगे बढ़ाने में सफल हुआ है। 150 वर्षों से यह राष्ट्रगीत देश में राष्ट्रीयता का भाव उत्पन्न करने में सफल हुआ है। हम सब ‘वन्दे मातरम्’ का हिस्सा हो सकते हैं। ‘वन्दे मातरम्’ हमें किसी उपासना विधि, व्यक्ति विशेष का आग्रही नहीं बनाता। यह हमें अपने कर्तव्यों के प्रति आग्रही बनाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर ने हमें अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी। यही बात हमारे प्रधानमंत्री जी भी कहते हैं कि हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए, ताकि यह कर्तव्य हमारी वर्तमान व भावी पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल बना सकें। राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ हमें उन्हीं कर्तव्यां के प्रति आग्रही बनाता है। उत्तर प्रदेश विगत 08 वर्षों में विकास की जिन ऊंचाइयों की ओर अग्रसर हुआ है, यह हमारे कर्तव्यों की ही अभिव्यक्ति है।
स्वतंत्रता पूर्व देश में फैली महामारी से करोड़ों लोग कालकवलित हो गए थे। भारत, भारतीयता तथा अपने नागरिकों के बारे में संवेदनशील सोच व भाव रखने वाले कुशल नेतृत्व के परिणामस्वरूप कोविड-19 महामारी पर नियन्त्रण लगाया जा सका। कोविड-19 महामारी के दौरान शासन, प्रशासन तथा अल्प वेतन भोगी कार्मिकों के मन में प्रत्येक परिस्थति में इस बीमारी को नियंत्रित करने का भाव था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब एक शिक्षक अपने छात्र को संस्कारवान बनाता है। जवान विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए देश की सीमाओं की रक्षा करता है। किसान अपनी खेती की उर्वरता को मजबूती के साथ आगे बढ़ाते हुए देश के नागरिकों के लिए अन्न का उत्पादन करता है। जब भारत का प्रत्येक नागरिक स्वार्थ से ऊपर उठकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, तो सही मायने में वह ‘वन्दे मातरम्’ गीत का ही गान कर रहा होता है। ‘वन्दे मातरम्’ के प्रति यही हम सबका दायित्व है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री एस0पी0 गोयल, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक श्री राजीव कृष्ण, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना श्री संजय प्रसाद सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।