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DNM SPECIAL STORY: लोकसभा चुनाव को लेकर सपा की रणनीति तय,अगड़ो,आदिवासियों को जोड़ेगी साथ

लखनऊ ( DNM NETWORK) :आपने समाजवादी पार्टी के ऑफिस लखनऊ सहित कई जगह एक गाना बजता हुआ देखा होगा . तेरी अलग है सबसे यहां बात मुलायम, बदले हैं तूने देश के हालात मुलायम. जो रह गए हैं काम अभी शेष करेंगे, रोशन तुम्हारा नाम अखिलेश करेंगे. उनकी तैयारी पिता मुलायम सिंह की यादों के बहाने पार्टी को मजबूत करने की है. देश के रक्षा मंत्री से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह से यूपी के कई लोगों का भावनात्मक रिश्ता जुड़ा रहा है. रिश्ते की इसी डोर को लेकर अखिलेश कामयाबी की पतंग उड़ाना चाहते हैं. लगातार चार चुनावों में मिली हार से समाजवादी पार्टी परेशान है. चुनावी जीत के लिए अखिलेश यादव ने कई तरह के प्रयोग किए. पर नतीजा कुछ खास नहीं रहा. कांग्रेस से मिलकर वे 2017 का विधानसभा चुनाव लड़े पर हार गए. पिछले लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अपने सबसे कट्टर विरोधी मायावती से गठबंधन कर लिया. इससे बीएसपी के फायदा तो हुआ पर समाजवादी पार्टी को नहीं. फिर एक बार पार्टी विपक्षी एकता वाले इंडिया गठबंधन में है.

साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह के परिवार में घमासान मच गया था. परिवार दो गुटों में बंट गया था. एक तरफ मुलायम सिंह और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव थे. दूसरे खेमे में अखिलेश यादव और उनके चाचा रामगोपाल यादव हो गए. इस झगड़े के बाद शिवपाल ने नाराज होकर नई पार्टी बना ली. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पूरा परिवार एकजुट हो गया है. बहराल शिवपाल यादव की घर वापसी हो चुकी है.
बात अगर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की करे तो चौबीस में साइकिल की मजबूती के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव करीब दो साल बाद जब साइकिल पर सवार हुए तब उन्होंने नए राजनीतिक समीकरण की भी आधारशिला रख दी। अपने परंपरागत वोटबैंक एमवाई गठजोड़ से आगे निकलकर पीडीए की बात करने वाली सपा ने इसे और विस्तार देते हुए अगड़ों, आदिवासी व आधी आबादी से जोड़ते हुए अपनी मंशा साफ कर दी और इन्हें भी साथ लेकर चलने का संदेश दिया है।
वही 2 दिन पहले हुई कार्यकरिणी की बैठक में सपा सुप्रीमों ने यूपी में 65 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दे चुके हैं। सपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। साथ ही यूपी का सबसे बड़ा दल है। विधानसभा चुनाव में 35 प्रतिशत वोट शेयर सपा के खाते में गया था इसीलिए, 80 में से 65 लोकसभा सीटों पर सपा चुनाव लड़ेगी। 15 सीटें दूसरे दलों को देने का काम करेगी। अगर सपा गठबंधन की तरफ नही जाती है तो यूपी में अकेले 80 सीटो पर चुनाव लड़ेंगी। क्योकि सपा का मानना है कि कोई भी गठबंधन सपा के सहयोग के बिना उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं जीत सकता है,