Breaking उत्तर प्रदेश लखनऊ

Good News : स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्तनपान के लिए चलाए गए कार्यक्रमों के बाद 5 साल में शहरी इलाके की दर में 10.6 फीसदी तो ग्रामीण में 14.2 फीसदी की बढ़ोतरी

लखनऊ ( सुमित कुमार श्रीवास्तव ): स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्तनपान के लिए चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों के बाद पांच साल में शहरी इलाके की दर में 10.6 फीसदी तो ग्रामीण में 14.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, धर्म के आधार पर देखें तो हिंदुओं में बच्चों के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने की दर 25.9 फीसदी और मुस्लिम में 23.4 फीसदी थी, जो एनएफएचएस-5 में हिंदुओं में 23.3 फीसदी और मुस्लिमों में 26.7 फीसदी हो गई।

5 फीसदी बच्चों को नहीं मिल पाता मां का दूध
करीब 5.40 फीसदी बच्चों को मां का दूध नहीं मिल पाता है। इन बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने पर राजधानी लखनऊ में तो मदर मिल्क बैंक से दूध उपलब्ध कराया जाता है, जबकि ग्रामीण इलाके के बच्चे दूसरे वैकल्पिक साधनों के लिए विवश हैं। केजीएमयू की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोना बजाज का कहना है कि प्रसव के बाद कुछ महिलाओं की हालत गंभीर हो जाती हैं। कुछ दम तोड़ देती हैं। ऐसे में इनके नवजात को मदर मिल्क बैंक से दूध लेकर पिलाया जाता है। वह बताती हैं कि बच्चे दूध पीने लगते हैं तो मां का दूध अपने आप बनने लगता है। प्रयास होना चाहिए कि जन्म के घंटे भर के अंदर नवजात को मां का दूध मिल जाए।

अमृत के समान होता है मां का दूध
लोहिया संस्थान के बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केके यादव का कहना है कि जन्म के एक घंटे के अंदर मां का पीला गाढ़ा दूध बच्चे को मिल जाए तो वह उसके लिए अमृत समान होता है। यह दूध इम्युनिटी बढ़ाता है और कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। यह शारीरिक विकास ही नहीं बल्कि मानसिक विकास में भी योगदान देता है। छह माह तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध देना चाहिए।

घंटे भर के का ग्राफ बढ़ाने की जरूरत

एनएफएचएस-4 में जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की दर शहरी इलाके में 21.5 फीसदी और ग्रामीण में 26.4 फीसदी थी, जो एनएफएचएस-5 में शहरी इलाके में 24.2 और ग्रामीण में 23.8 फीसदी रही। इस तरह देखा जाए तो घंटे भर के अंदर स्तनपान की दर शहरी इलाके में बढ़ी है, लेकिन ग्रामीण इलाके में कम हुई है। अब स्वास्थ्य विभाग की रणनीति है कि ग्रामीण इलाके में भी इस दर को बढ़ाया जाए।