उत्तर प्रदेश में गंगा की 13 सहायक नदियों के घाटों को संवारा और सजाया जाएगा। यहां भी काशी, प्रयागराज व बिठूर की तर्ज पर शाम को ‘गंगा आरती’ होगी। शासन ने इस संबंध में गंगा स्वच्छता अभियान के तहत गंगा नदी के साथ उसकी सहायक नदियों को भी संरक्षित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।
योजना के तहत नदी के किनारे पुराने घाटों को संवारने के साथ गांव-गांव में गंगा मेला जैसे आयोजन भी होंगे। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इन आयोजनों की कार्ययोजना जल्द बनाकर काम शुरू करें। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि योजना में गंगा नदी में मिलने वाली नदियों को भी प्रदूषण मुक्त करने का बीड़ा उठाया गया है।
इन नदियों में गिरने वाले सीवेज को चिह्नित करके उनको बंद करने के साथ नदी के दोनों किनारों पर बसे गांव, शहरों और कॉलोनी वासियों को जागरूक किया जाएगा। नदियों के घाटों को सुंदर बनाकर स्थानीय लोगों को सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक रूप से जोड़ने की तैयारी है।
प्रदेश में बिजनौर से शुरू होकर काशी, प्रयागराज, कानपुर के रास्ते बलिया होकर बिहार जाने वाली गंगा नदी में गिरने वाले नालों को बड़े स्तर पर अभियान चलाकर राज्य सरकार ने या तो रोक दिया है या उनको टैप करा दिया है। यहां एसटीपी बनाए गए हैं और कई जगह पर गंगा में गिरने वाले नालों को बंद करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
इन प्रमुख नदियों के घाटों की बदलेगी सूरत
गंगा नदी से मिलने वाली रामगंगा, बेतवा, सरयू, राप्ती, वरुणा, काली, यमुना, हिंडन, गर्गो, केन, गोमती और सई समेत 13 नदियों के घाटों की सूरत बदली जाएगी।




