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देवउठनी एकादशी- चातुर्मास के बाद प्रकृति और जीवन में नई ऊर्जा के उत्थान का प्रतीक

12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी, जो चातुर्मास के बाद भगवान विष्णु के जागने का पर्व है। सनातन धर्म में यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु का शयन समाप्त होता है और वे उत्तरायण में जाग्रत होते हैं। इसी दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो पाते हैं। देवशयनी और देवउठनी के बीच के चार महीनों में बारिश होती है, और इस दौरान विवाह, उत्सव और यात्रा जैसे कार्य थम जाते हैं। यह समय फसलों के तैयार होने और किसानों के लिए पैदावार बेचने का होता है। देवउठनी एकादशी के चार दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है, जब देवता गंगा नदी में स्नान करते हैं।
देवउठनी एकादशी प्रकृति और मानव जीवन के अनुकूल बदलाव का प्रतीक है, जब चार महीने का आराम और री-चार्ज करने के बाद समाज फिर से सक्रियता की ओर बढ़ता है।