लखनऊ ( सुमित श्रीवास्तव,संवाददाता ) : राजधानी लखनऊ के निजी अस्पतालों के साथ ही सरकारी अस्पताल भी आग से सुरक्षा को लेकर तैयार नहीं हैं. घटना होने पर भयावह स्थिति हो सकती है. वहीं, निजी अस्पतालों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस देकर खानापूर्ति की जा रही है. बीते रविवार को दिल्ली के एक अस्पताल में आग लगने से सात बच्चों की मौत हो गयी थी जिसके बाद भी अधिकारियों के कानों में जो तक नहीं रेंगी जुलाई 2017 में केजीएमयू ट्रामा सेंटर में आग की बड़ी दुर्घटना हो गई थी. इस दुर्घटना में सात मरीजों की जान चली गई थी. घटना के बाद सख्त हुई सरकार ने राजधानी में सभी सरकारी अस्पतालों में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम करने के निर्देश जारी किए गए. सरकार ने फायर फाइटिंग सिस्टम करीब 12 करोड़ रुपये जारी किए ताकि अस्पतालों में आग से बचाव के लिए जरूरी उपकरण लगाए जा सके. सिस्टम विकसित करने का जिम्मा लैक्पेड को दिया था. ताजा घटना होने के कारण कुछ काम तो किया गया. समय बीतने के साथ कार्य की रफ्तार धीमी हो गई. कार्य आज तक पूरा नहीं किया जा सका है.सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों की स्थिति काफी खराब है. शहर में करीब पांच सौ ऐसे छोटे निजी अस्पताल हैं. जहां आग से बचाव का कोई इंतजाम नहीं है. आग से बचने के नाम पर केवल छोटे सिलेंडरों को दीवारों पर टांग दिया गया है.
प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों एवं जिला अस्पतालों एवं अन्य अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा को लेकर लगातार शिकायतें आ रही है कि वहां आग से बचाव के संसाधन उपलब्ध नही है जिससे अस्पतालों में मरीजों को लेकर आग की दुर्घटना से इंकार नही किया जा सकता प्रदेश के कई अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के विधिवत इंतजाम नही है या तो अग्नि शमन संयंत्र खराब है या फिर उनको चलाने वाला कोई नही है वर्तमान समय में भीषण गर्मी पड़ रही है आग लगने की घटनाएं लगातार हो रही है अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के पूरे इंतजाम होने चाहिये लेकिन पहले भी इस पर सरकार द्वारा कोई ध्यान नही दिया गया और न ही चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग ने इस पर कोई अमल किया। निश्चित रूप से शायद कोई बड़ी दुर्घटना का इंतजाम कर रहे है सरकार को इसके लिये तत्काल प्रभाव से मेडिकल कालेजों,अस्पतालों मे तत्काल प्रभाव से अग्नि शमन का मेटिंनेंस एवं नये षंयत्र एवं सुरक्षा के उपाय इत्यादि के लिये जरूरी दिशा निर्देश के लिये शासनादेश करना चाहिये।
