लखनऊ( DNM NEWS AGENCY) : 14 से 20 नवम्बर, 2022 तक चलने वाले 69वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के तीसरे दिन आज सहकारिता भवन के पीसीयू सभागार में ‘‘सहकारी शिक्षण को मुख्यधारा में लाना, व्यावसायिक प्रबन्धन और उन्मुखी प्रशिक्षण’’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का आयोजन उ0प्र0 कोआापरेटिव यूनियन लि0 (पीसीयू) तथा आई.सी.सी.एम.आर.टी. के संयुक्त तत्वावधान में किया गया, जिसका शुभारम्भ प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)असीम अरूण ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि सहकारिता आन्दोलन को सफल बनाने के लिए सहकारी संस्थाओं को और अधिक सुदृढ़ करना होगा। सहकारी शिक्षा को स्कूली स्तर पर के पाठ्यक्रम में शामिल करना होगा तथा इसके प्रति लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि जो भी कार्य करें परिपूर्णता के साथ तथा व्यवस्थित ढंग से करें।अरूण ने कहा कि भारत सरकार के 05 ट्रिलियन तथा प्रदेश सरकार के 01 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को पूर्ण करने में सहकारिता का महत्वपूर्ण योगदान होगा। यह लक्ष्य हासिल करने में समाज के प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर चलना आवश्यक है, जिसके लिए सहकारिता की भावना प्रभावी माध्यम बन सकती है। इस अवसर पर अरूण ने कृषि अवस्थापना निधि (एआईएफ) के लाभार्थियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
प्रमुख सचिव, सहकारिता, बी०एल० मीणा ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत सरकार द्वारा वैकुण्ठ लाल मेहता कमेटी की शिफारिशों को लागू कर भारत सरकार द्वारा अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन जुलाई, 2021 में किया गया। भारत सरकार द्वारा सहकारिता के विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कमेटी का गठन किया गया है, जो सहकारिता में सुधार के लिए अपनी अनुशंसा भारत सरकार को प्रस्तुत करेगी। सहकारी संस्थाओं के प्रबन्धन में दक्ष एवं कुशल प्रबन्धकों तथा प्रतिनिधियों की आवश्यकता है, जिसको विभिन्न सहकारी प्रबन्धन संस्थाओं के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान कर पूर्ण किया जा सकता है।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता गिरि इन्स्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेण्ट स्टडीज, लखनऊ के प्रो० के० श्रीनिवास राव द्वारा अपने सम्बोधन में यह कहा गया है कि सहकारिता संस्था को लाभपरक एवं आगे बढ़ाने के लिए गुणवत्तायुक्त प्रबन्धन की आवश्यकता है, जो उचित प्रशिक्षण के माध्यम से सहकारी कर्मियों एवं प्रतिनिधियों को दक्ष बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सहकारी सेक्टर में अभी भी बहुत संभावनाएं हैं, इसको सही दिशा देने की आवश्यकता है, सही दृष्टिकोण से सहकारिता समृद्धि की ओर बढ़ेगी इसके लिए सहकारी शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। श्री राव ने कहा कि ‘‘ईच फॉर ऑल-ऑल फॉर ईच’’ की अवधारणा के साथ कार्य करना होगा।





