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Breaking : लखनऊ सहित यूपी के कई अस्पतालों में दवाओं की भारी कमी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में एक रुपये का पर्चा जरूर बनता है, लेकिन दवा का खर्च हजारों रुपये का है. ऐसे में गरीब वर्ग के लोगों के लिए समस्या खड़ी हो रही है.
राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के कई मरीजों को रोजाना सरकारी अस्पतालों में दवाओं और इंजेक्शन के संकट की मार झेलनी पड़ रही है। डॉक्टर को दिखाने के बाद मरीजों को पूरी दवाएं अस्पताल में नहीं मिल रही हैं। मजबूरी में मरीज और उनके तीमारदार को निजी मेडिकल स्टोरों से दवाएं खरीदनी पड़ रही है। पिछले कुछ दिनों से राजधानी के सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर उपयोग में आने वाली दवाओं का संकट गहराया हुआ है। उप्र मेडिकल सप्लाइज कॉरपोरेशन से मांग के बाद भी दवाओं की सप्लाइ नहीं हो पा रही या फिर यह कहे कि यूपी मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन दवाओं की आपूर्ति में फेल हो गया है. ऐसे में अस्पतालों से कई दवाएं गायब हो चुकी हैं। अगर अस्पतालो में जल्द ही  दवाएं नहीं भेजी गईं तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। एक समस्या यह भी है कि लोकल परचेज के बजट से बड़ी मात्रा में ये दवाएं नहीं खरीदी जा सकती है। सरकारी अस्पतालों में दवाओं की खरीदारी के लिए दिए गए आदेश मरीजों की सेहत पर भारी पड़ रहे हैं। करोड़ों का बजट होने के बाद भी अस्पताल अपने स्तर से दवाएं नहीं खरीद पा रहे हैं।
बात अगर प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र की करे तो यहां पर भी कई दवाएं तरह की दवाएं उपलब्ध नहीं है। सरकारी अस्पतालों में खुले जन औषधि केंद्रों पर भी सभी दवाएं नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को मजबूरन बाहर से दवाएं लेनी पड़ रही है। अफसरों का कहना है जनऔषधि केंद्रों पर 400 तरह की दवाएं होनी चाहिए, लेकिन सभी केंद्रों पर 40-50 तरह की सामान्य दवाएं ही मिल पा रही है। जन औषधि केंद्रों में उनकी सूची में दी गईं 400 दवाएं आ जाएं तो अस्पताल पर लोड कम होगा।

ये दवाएं हो चुकी हैं खत्म

एमाक्सीक्लेव – बच्चों का सिरप, कैल्शियम – सिरप,एंटासिड -गैस का सिरप,एलकॉसाल – पेशाब संबंधी दवा, एकार्बामिजापिन- मानसिक की दवा, एनोविट क्रीम- पाइल्स की क्रीम, डायलिसिस फ्लयूड लोसारटेन 50 एमजी- बीपी की दवा, सिपरोफ्लाक्सीन 500 एमजी – एंटीबॉयोटिक, सिफेक्जीन – एंटीबॉयोटिक

इन  इंजेक्शन की भी भारी कमी 

टिटबैक, रेनटेक, पेरासिटामोल, एंट्रॉजर्मिना, एंडोस्ट्रान, डोपामाइन, एडनलिन इंजेक्शन व विटामिन के।