लखनऊ।( DNM NETWORK): फैमिली हेल्थ इण्डिया, गोदरेज एवं जिला स्वास्थ्य समिति के सहयोग से संचालित एम्बेड परियोजना के अन्तर्गत विश्व मलेरिया दिवस पर जनपद के विभिन्न संवेदनशील बस्तियों में विविध कार्यक्रम यथा सगोष्ठी, जागरूकता रैली, पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित हुए। इस अवसर पर बेस्ट स्कूल इन क्वालिटी एजुकेशन विजेता पायनियर मोंटसरी इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य प्रीती दीक्षित ने बताया कि विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर मलेरिया रोग की रोक-थाम व इस रोग के संबंध में जागरूकता बढाना सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिससे आम जन को शुरूआती लक्षणों, सावधानियों और उपचार के बारे में जागरूक करना शामिल है। मलेरिया बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। आस-पास दूषित पानी इकट्ठा ना होने देना चाहिए। अपने अपने घर के आस पास साफ-सफाई रखनी चाहिए। इस अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में प्रथम स्थान पर अक्षत मिश्रा, दितीय स्थान पर अक्षत शर्मा एवं तृतीय स्थान पर उत्कर्ष पाण्डे रहे जिन्हें प्रसस्ती प्रत्र देकर सम्मानित किया गया।
प्रभारी चिकित्साधिकारी डा0 स्वाती गौतम नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आजाद नगर ने बताया कि सक्रामक रोग मलेरिया की जांच प्रत्येक दिवस में निःशुल्क उपलब्ध है उन्होने कहा कि कोई भी बुखार होने पर बिना चिकित्सक के परामर्ष के कोई भी दवा न लें एवं तत्काल आशा से सम्पर्क करे या नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर परामर्श ले। सही समय में पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतया स्वस्थ्य हो जाता है।
क्षेत्रीय समन्वयक एफ0एच0आई-एम्बेड घर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि विश्व मलेरिया दिवस का आना इस बात को याद दिलाता है कि मलेरिया, मच्छरों से फैलने वाला एक प्रमुख संक्रमण रोग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रतिवर्ष विश्व में होने वाली कुल मौतों में से 30 से 33 प्रतिशत मौतें सक्रामक रोगों के कारण होती है। जन-सामान्य को जागरूक करने के मकसद से प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरूआत साल 2007 से की गई थी, इस दिन को इसलिए शुरू किया गया था जिससे कि आम लोगों का ध्यान इस खतरनाक बीमारी की ओर जाए, क्योंकि हर साल लाखों लोगों की मौत इस बीमारी से हो जाती है। इस साल विश्व मलेरिया दिवस की थीम ‘अधिक न्यायोचित विश्व के लिए मलेरिया के खिलाफ लडाई में तेजी लाना‘ है।‘ हमारे देश को 2027 तक मलेरिया मुक्त करने का और 2030 तक इसके उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने बताया कि मलेरिया के लिए जिम्मदार मादा एनोेफिलीज मच्छर अपने एक अण्डे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय लगता है। उन्होंने सप्ताह में एक बार ड्राई-डे मनाये जाने हेतु हर रविवार मच्छर पर वार एवं लार्वा पर प्रहार के माध्यम से अपनी बाती कहीं, उन्होंने कहा कि यदि किसी जल पात्र में पानी है तो उसे सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर देे। जैसे कूलर, गमला टिन का डब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रिज के पीछे का डीप फ्रास्ट ट्रे की सफाई सप्ताह में एक बार करते रहना आवश्यक है। उन्होेने कहा कि मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति का समय से इलाज शुरू होने पर जान जाने का खतरा कम हो जाता है।
मलेरिया निरीक्षक जितेन्द्र थारू ने बताया कि मलेरिया को होने से रोका जा सकता है, यह स्वयं हमारे अपने हाथों में है। उन्होंने बताया कि मलेरिया बुखार मच्छरों से होनेे वाला एक तरह का संक्रमण रोग है। जो मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के काटते ही व्यक्ति के शरीर से प्लाजमोडियम नामक जीवाणु प्रवेश कर जाता है। इसके बाद वह रोगी के शरीर में पहुंचकर उसके कई गुना वृद्धि कर देता है। समय पर इलाज न मिलने पर यह रोग जानलेवा भी हो सकता है। मलेरिया का उपचार संभव है, इससे बचने के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है।
मलेरिया के लक्षणों पर चर्चा करते हुए बी0सी0सी0एफ0 वीरेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया कि मलेरिया का संक्र्रमण होने पर बुखार, पसीना आना, शरीर मे दर्द और उल्टी आना इस रोग के प्रमुख लक्षण है। मलेरिया परजीवी 5 प्रकार के होते है। प्लाजमोडियम फैल्सीपेरम, प्लाजमोडिएम वाइवैक्स, प्लाजमोडियम आवेल, प्लाजमोडिएम मलेरिया और प्जाजमोडियम नोलेसी। मच्छरो के लार्वा की रोकथाम के लिए तालाब में छोडी गई गम्बूजिया मछली मच्छरों के लारवा को बडे चाव से चट कर जाती है।
इस अवसर पर मलेरिया पर्यवेक्षक छत्रपाल, शोमित श्रीवास्तव, राम औतार, सुधीर क्षेत्रीय कार्यकर्ता, शिक्षिका जया त्यागी, कामिनी व अन्य उपस्थित रहे।