बंदायू

गर ताज के साये में जमना की रवानी है, तो तारिख के पन्नो में मेरी भी कहानी है।”

ब्यूरो(बदायू)

आपने आगरा में मुमताज महल और उनके पति शाहजहाँ का मकबरा ताजमहल यकीनन देखा होगा । लेकिन आपने मुमताज़ की बहन शाह परवर खानम और उनके पति नवाब फरीद का मकबरा नहीं देखा होगा । यह उत्तर प्रदेश के बदायूं शहर के शेखूपुरा में है। शाह परवर खानम और उनके पति नवाब फरीद के मकबरे की हालत देखकर, इसकी कल्पना करना मुश्किल है कि एक बहन एक अद्भुत ताजमहल में दफन है और दूसरी बहन इस गुमनाम जगह में खोई हुई है। लेकिन दोनों बहिनों की किस्मत में कुदरत ने गजब का उलटफेर किया। आज एक बहन का मकबरा दुनिया के 8 अजूबों में शुमार हो चूका है, वहीँ दूसरी बहन का मकबरा खंडहर में तब्दील हो चुका है।

– बदायूं के शेखूपुर इलाके में नवाब शेख फरीद के परिवार के कब्रिस्तान में स्थित यह खंडहर मकबरा 17 वीं शताब्दी में एक विशाल स्मारक के रूप में बना था। इसके भीतरी कक्ष में मुगल गवर्नर नवाब फरीद, उनकी पत्नी और दो बेटियों की कब्रें हैं।

यह स्मारक मुगल दिनों की याद दिलाता है जब शेखूपुर बदायूं का शक्ति केंद्र था। नवाब फरीद, बदायूं के गवर्नर और मुगल सम्राट जहाँगीर के दूधशरीक भाई, कुतुबुद्दीन कोका के पुत्र थे। नवाब फरीद ने उस समय के मुगल सम्राट नूरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर ऊर्फ शेखू के नाम से एक जिले का निर्माण किया, जिसे शेखूपुर का नाम दिया । नवाब फरीद को सम्राट जहांगीर ने मोहताशिम खान की उपाधि से सम्मानित किया था। बादशाह जहाँगीर द्वारा नवाब मोहताम खान को 4000 बीघा और 22 गाँवों की जागीर दी गयी थी ज़िसको बादशाह शाहजहाँ और आलमगीर औरंगज़ेब के शासन मे बरकरार रखा गया था। सन 1666 में बादशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान उनका निधन हो गया।

– नवाब फरीद की शादी मुगल रानी मुमताज महल की बहन, परवर खानम से हुई थी। नवाब फ़रीद का परिवार पाकिस्तान के पाकपट्टन के प्रसिद्ध प्रसिद्ध सूफ़ी “बाबा फ़रीदुद्दीन मसूद गंजशकर” के वंशज मे से है। मकबरे के ठीक सामने नवाब फरीद की एक हवेली है, जहां आज भी उनकी पीढ़ी के लोग रहते हैं। दिलचस्प तथ्य ये है कि भारत के पांचवें राष्ट्रपति, फकरुद्दीन अली अहमद के ससुराल परिवार के लोग नवाब फरीद के वंशज मे से हैं।

ये मकबरा छोटी लखोरी ईंटों और चूने की चिनाई से बना है , केंद्रीय कक्ष पर विशाल बल्बनुमा गुंबद है। यह इमारत एएसआई के तहत संरक्षित नहीं है और संरचना पूरी तरह से ढह रही है और जंगली पौधों ने हर तरफ कब्जा कर लिया गया है। घने खरपतवारों से घिरे और कचरे से भरे कीचड़ वाली सड़क पर चलकर मकबरे तक जाया जा सकता है। अगर हालत ऐसे ही रहे तो भाविष्य में, यह पूरी तरह से खत्म होकर गायब हो जाएगा।

कुछ स्थानीय लोग जो नवाब फरीद के वंशज होने का दावा करते है वो इसकी थोडी बहोत हिफाजत करे हुए है। कुछ सालो से कुछ लालची प्रवृति लोग खजाने की चाहत में इस मकबरे की खुदाई किये जा रहे है। इसकी शिकायत कई बार स्थानीय प्रशासन से की गयी, लेकिन प्रशासन या पुरातत्व विभाग ने कभी इसकी सुध नहीं ली। ज़रूरत है तो ये की जागरुक होकर इस इमारत को बचाया जाये lये मकबरा आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इन्तजार कर रहा है पुरातत्व विभाग का, जो कि उसकी तकदीर को संवारे