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योगी सरकार ने सांस्कृतिक सरोकारों से विकास को दी उड़ान, विधानसभा चुनाव 2022 का रखा ध्यान

 

योगी सरकार ने अपने पांचवें बजट से आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ के संकल्प का एलान करते हुए ‘जो कहा सो किया’ के संदेश के साथ ‘एक बार फिर पांच साल के लिए भाजपा सरकार’ की जरूरत का संदेश देने की कोशिश की है। बजट में पुराने कामों को विस्तार और उन्हें आगे बढ़ाने के साथ नई घोषणाओं के लिए धन का प्रावधान कर सरकार ने इसे चुनावी बजट बताने से बचने का प्रयास किया है।

इसके बावजूद बजट में सांस्कृतिक सरोकारों के साथ सलीके से प्रदेश के सर्वसमावेशी और चहुंमुखी विकास को उड़ान देने की कोशिश के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने का इरादा अगली सत्ता की बुनियाद रखने की कवायद बता रहा है। पर, यह कवायद इस सावधानी के साथ हुई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ- सबका विकास और सबका विश्वास’ के संदेश को लेकर कोई सवाल न खड़ा हो।

इसीलिए गुरुकुल की तर्ज पर संस्कृत विद्यालयों का विकास, विद्यार्थियों को निशुल्क भोजन व आवास की घोषणा के साथ ही सरकार ने अल्पसंख्यकों और उनके मदरसों के लिए भी धन आवंटन में खुला दिल दिखाने की कोशिश की है। संकेतों से यह भी बताया गया कि महिलाओं, युवाओं, किसानों, विद्यार्थियों और श्रमिकों के लिए शुरू की जा रही नई और चल रही पुरानी योजनाओं में धन के प्रबंध का लाभ भी तो अल्पसंख्यकों को ही मिलेगा।

सरकार ने लोक कल्याण संकल्प पत्र के बचे कामों को पूरा करने का इरादा जताकर यह बताने की कोशिश की कि भाजपा आगे भी जो वादे करेगी वह पूरे होंगे। इसके साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, स्मार्ट सिटी, प्रवासी मजदूर, कौशल विकास सहित अन्य कई मुद्दों पर अब तक हुए काम के साथ नई व्यवस्थाओं का उल्लेख करते हुए कोरोना काल को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है।