ताजनगरी का जूता उद्योग एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल होने के बावजूद बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। अब तक उद्यमियों की वर्षों पुरानी जूता क्लस्टर की मांग अधूरी है। उद्यमियों का कहना है कि अगर शहर की छोटी-बड़ी पांच हजार इकाइयों को एक ही जगह पर समेट लिया जाए तो अंतरराष्ट्रीय फलक पर ताजनगरी का जूता उद्योग परवाज भरेगा। यूपी के बजट में इसकी आस है।
आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष गागन दास रामानी का कहना है पिछले 10 सालों में भी आगरा-जयपुर रोड की तरफ बने लेदर इंडस्ट्री पार्क को विकसित नहीं किया जा सका है। जगदीशपुरा, रामनगर की पुलिया, बोदला, शाहगंज, चक्की पाट, सिकंदरा जैसे क्षेत्रों में छोटे-बड़े कारखाने बंटे हुए हैं। क्लस्टर बनने से एक ही जगह पर जूता बनाने से लेकर डिजाइनिंग का काम हो सकेगा। वहां रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए लैब बन सकेगी।
एक नजर आंकड़ों पर
– 8000 कारखाने।
– 195 निर्यात इकाइयां
– पांच लाख लोगों को रोजगार।
– 8 हजार करोड़ का टर्नओवर।