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स्मृति ईरानी चुप क्यों हैं? उन्नाव की बेटियां क्या बंगाल में जन्म लेती तब उन्हें न्याय मिलता

 

योगी आदित्यनाथ के शासन वाला उत्तर प्रदेश बेटियों के लिए जैसे नर्क बन गया है। यहां आए दिन बेटियों के साथ हत्या और रेप जैसी रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदातें सामने आ रही हैं।

ताज़ा मामला उन्नाव के बबुरहा गांव का है जहां 3 दलित नाबालिग लड़कियां खेत में दुपट्टे से बंधी पड़ी मिलीं।

इनमें से दो बच्चियों की मौत हो चुकी थी और तीसरी बच्ची की हालत बेहद नाज़ुक है। फिलहाल उसका इलाज कानपुर के रिजेंसी हॉस्पिटल में चल रहा है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि बेटियों के साथ पहले रेप किया गया और फिर बाद में इनकी हत्या कर दी गई।

हालांकि पुलिस ने रेप की आशंका से इनकार किया है। पुलिस का कहना है कि प्रथमदृष्टया में ये पता चलता है कि बच्चियों की मौत ज़हरीला पदार्थ खाने से हुई है।

इस घटना के बाद देश में आक्रोश का माहौल है। इसको लेकर लोग सूबे की योगी सरकार को घेर रहे हैं।

साथ ही घटना पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की ख़ामोशी पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। निर्भया कांड में ज़ोर-शोर से आवाज़ बुलंद करने वाली स्मृति ईरानी से लोग पूछ रहे हैं कि आख़िर वो बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रही आपराधिक वारदातों पर आवाज़ कब उठाएंगी।

दरअसल, स्मृति ईरानी ने निर्भया कांड के समय बेटियों के साथ खड़े होकर सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था।

उन्होंने घटना के लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चूड़ी तक भेज दी थी। लेकिन अब वो ऐसा करती नज़र नहीं आ रहीं।

उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में बेटियों के साथ रेप और हत्या की कई बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन उनके मुंह से इन घटनाओं पर एक भी लफ्ज़ नहीं निकला।

स्मृति ईरानी अमेठी से सांसद चुनी गई हैं। अमेठी और उन्नाव में ज़्यादा फासला नहीं है। उन्नाव में बेटियों के साथ लगातार ये तीसरी रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात है। लेकिन स्मृति ईरानी अभी भी ख़ामोश हैं।

उन्होंने इस घटना पर अभी तक एक ट्वीट तक नहीं किया है। ऐसे में लोग पूछ रहे हैं कि क्या समृति ईरानी तब भी ख़ामोश रहतीं अगर ये घटना उत्तर प्रदेश की जगह पश्चिम बंगाल में होती?