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SDO और SDM में क्या अंतर होता है? किसकी पावर होती है कितनी, सबकुछ जाने

 

 

SDO और SDM में अंतर क्या होते हैं आज हम आपको इन दोनों के बारे में बताएंगे! क्योंकि आपने बहुत बार लोगों को दोनों के अंतर में सोचते देखा होगा. यह दोनों सुनने में एक ही पद जैसे लगते हैं लेकिन इनके बीच बहुत ही अंतर है तो आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं..

कौन होता है SDO ?

कौन होता है SDM ?

SDM सभी राज्यों के हर जिले में अलग-अलग होता है. SDM को पूरे जिले की व्यवस्था की जिम्मेदारी रखनी पड़ती है. इन्हें उप-प्रभागीय न्यायाधीश कहा जाता है. इन्हें जिला की व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियुक्त किया जाता है. इन्हें टैक्स इंस्पेक्टर कलेक्टर मजिस्ट्रेट सशक्त करते हैं. एक SDM की जिम्मेदारी समस्त सब डिवीजन की देखरेख करने से लेकर सभी जमीनी मामलों के निपटारे की होती है.

SDO और SDM में अंतर

SDO

SDO हर डिपार्टमेंट में अलग-अलग नियुक्त किए जाते हैं.

तहसीलदार के प्रमुख होते हैं.

इन्हें उपविभागीय अधिकारी कहा जाता है. भूमि राजस्व संहिता की शक्ति का उपयोग करता है.

सब डिवीजन के मुख्य सिविल अधिकारी होते हैं, और इन्हें सरकार के विभिन्न विभागों जैसे पानी, बिजली, इंजीनियरिंग, डाक विभाग, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, MES में नियुक्त किया जाता है

SDM

इन्हें हर जिले की सब डिवीजन में नियुक्त किया जाता है.

यह पूरे जिले जिले की व्यवस्था की जिम्मेदारी रखते हैं.

एसडीएम की संख्या एसडीओ से हमेशा ज्यादा होती है.

इन्हें उप प्रभागीय न्यायधीश कहा जाता है.

यह कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियों का प्रयोग करते हैं.

इस भूमिका में CRPC के निवारक अनूप विभागों के संचालन के लिए जिम्मेदार हैं और कानून व्यवस्था बनाए रखते हैं.

एसडीएम राजस्व निरीक्षकों, पटवारी और तहसीलदारों के राजस्व कर्मचारियों के प्रमुख होते हैं और जो क्षेत्र स्तर के राजस्व गतिविधियों और उत्परिवर्तन में शामिल हैं. एसडीएम को कई राज्यों में एसडीओ भी कहा जाता है