इटावा उत्तर प्रदेश

जिला पंचायत पर कब्जा बरकरार रखना सपा के लिए चुनौती

 

 

इटावा। शासन ने इटावा जिला पंचायत को अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया है। दोपहर बाद जिला पंचायतों का आरक्षण घोषित हो जाने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदारी करने वाले तमाम संभावित दावेदारों के अरमानों पर पानी फिर गया। इस बार अध्यक्ष पद की कुर्सी ओबीसी के लिए आरक्षित हो जाने के बाद अब फिर से सबकी नजरें सैफई परिवार की ओर घूम रहीं हैं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के परिवार के सदस्यों का पिछले 15 सालों से इस पद पर कब्जा रहा है। पूर्व सीएम अखिलश यादव के लिए इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती होगी। वहीं भाजपा पहली बार जिला पंचायत के चुनावों में अपना दमखम दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

वर्ष 1948 में गठित जिला परिषद पर पहली बार सपा ने अपना दबदबा वर्ष 1989 में कायम किया। जब मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई प्रो रामगोपाल यादव जिला परिषद के अध्यक्ष चुने गए। लगातार तीन दशक से जिला पंचायत में सपा का ही अध्यक्ष बनता रहा। 92 में प्रो रामगोपाल यादव राज्य सभा सांसद निर्वाचित हो गए। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वर्ष 1995 में पंचायती राज अधिनियम लागू होने के बाद जिला परिषद का नाम जिला पंचायत हो गया। आरक्षण व्यवस्था लागू हो गई। 1995 में यह सीट पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हुई और सपा के राम सिंह शाक्य पंचायत अध्यक्ष बने।

वे भी सांसद निर्वाचित हुए। रिक्त स्थान पर कुछ समय के लिए शिवपाल सिंह यादव और उसके बाद शेष कार्यकाल स्व महेंद्र सिंह राजपूत ने पूरा किया। वर्ष 2000 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई। सपा के प्रेमदास कठेरिया अध्यक्ष चुने गए। 2005 में यह सीट अनारक्षित सीट हुई तो मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई राजपाल सिंह यादव की पत्नी प्रेमलता यादव अध्यक्ष चुनीं गईं। 2010 में यह सीट सामान्य महिला के खाते में गई। प्रेमलता यादव पुन: अध्यक्ष चुनीं गईं। 2015 में अनारक्षित सीट पर राजपाल सिंह यादव के पुत्र अभिषेक यादव उर्फ अंशुल जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए। उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है।
प्रदेश में भाजपा की सरकार है। भाजपा के सामान्य वर्ग के नेता काफी जोश भर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि सीट अनारक्षित होगी। शुक्रवार को जारी आरक्षण में यह सीट ओबीसी के कोटे में चली गई।
इस बार बगैर शिवपाल के सपा लड़ेगी चुनाव
इटावा। जिला पंचायत के चुनाव में अभी तक शिवपाल सिंह यादव सपा के खेवनहार बनते थे। इटावा में पूरा चुनाव उनके ही इर्द गिर्द घूमता रहा। सैफई परिवार में अलगाव के बाद वे प्रसपा बनाकर अलग राह पकड़े हुए हैं। इस बार सपा जिला पंचायत का चुनाव बगैर शिवपाल सिंह के लड़ेगी। शिवपाल सिंह यादव की जिला पंचायत में क्या भूमिका होगी। इस बात पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। चुनाव में सपा और प्रसपा दोनों मैदान में उतरे तो भाजपा के लिए यह चुनाव काफी मुफीद साबित हो सकता है।