वर्ष 1922 में चौरीचौरा थाने में जो घटना घटी उससे पूरे देश की स्वतंत्रता के आंदोलन को एक नया रुक सामने आया और उसका असर पूरे देश के स्वतंत्रता आंदोलन पर गया। गोरखपुर जिले के चौरी चौरा क्षेत्र के रहने वाले कुछ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने 1922 में चोरी चोरा थाने को आग के हवाले कर दिया था ।जिसमें कई अंग्रेज सिपाही मारे गए थे। परिणाम स्वरूप तत्कालीन सरकार ने कार्रवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया कई लोगों को जेल भेजा और कई लोगों को सख्त से सख्त सजा दी गई। कुछ ही लोग बच पाए कोर्ट के फैसले के आधार पर। इस वर्ष सरकार पूरे 1 साल चौरी चौरा कांड के 100 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में शताब्दी वर्ष मनाने का फैसला किया है । इसी के परिणाम स्वरुप उस में शहीद हुए और शामिल हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को खोजा जा रहा है। उनको सम्मानित करने के लिए ।परंतु सरकार इस पहल के बाद जब हमारी टीम ने वास्तविकता जानने का प्रयास किया ।तो पता चला कि अब भी कुछ ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजन है ।जिन्हें सरकार की तरफ से कोई सुविधाएं नहीं मिली और कुछ लोगों को उनका उतना वास्तविक योगदान था ,कि नहीं परंतु उससे अधिक उन्हें आज वह इनाम पा रहे हैं ।ऐसे में उन शहीदों के परिजनों ने मांग किया ,सरकार को जांच करके उस मामले में जो उचित हो उन्हीं को उनका हक मिलना चाहिए।
– बृजराज यादव ने बताया कि हमारे बाबा और उनके पिताजी 1922 के चौरी चौरा कांड वाले मामले में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है ।परिणाम स्वरूप तत्कालीन सरकार ने उसकी सजा दी और वह देश के लिए अंतिम सांस तक अपना सब कुछ निछावर कर दिए। आज भी हमारे गांव में सड़क बिजली और सरकार के द्वारा मिलने वाले कई सुविधाओं से मेरा परिवार और उस घटना में शामिल कई लोगों का परिवार वंचित है । वही उस घटना में कुछ लोगों का रोल बहुत विशेष नहीं था ।या यह भी कह सकते हैं संदेह के दायरे में था। सरकार को ऐसे लोगों का जांच करके जो वास्तविक उत्तराधिकारी हैं ।उनका उन्हें हक और सरकार द्वारा जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं उसका लाभ मिलना चाहिए।
वही रामेश्वर जी ने कहा कि हमारे माता जी के पिताजी भी उस घटना में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया ।जब तक माताजी जिंदा थी। तब तक उन्हें केवल पेंशन मिला बाकी अन्य सुविधाएं नाममात्र की मिली और उनके निधन के बाद सारी सुविधाएं बंद हो गई।
वही विक्रम आई के परिजनों का कहना है ।हमें इस समय कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं ।जो हमारा हक है ।हमें मिलना चाहिए और कुछ लोगों को उम्मीद से भी अधिक सुविधाएं मिल रही है।