लखनऊ. समाज कल्याण विभाग की ओर से गरीबों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में यूपी बोर्ड के छात्रों को वरीयता दी जाएगी। यानी उपलब्ध बजट में सबसे पहले यूपी बोर्ड के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी, इसके बाद सीबीएसई व आइएससी बोर्ड के छात्रों को योजना का लाभ दिया जाएगा। साथ ही ऐसे छात्र-छात्राओं को पहले छात्रवृत्ति दी जाएगी, जिनके माता-पिता निरक्षर हैं। फर्जी शिक्षण संस्थान छात्रवृत्ति योजना का लाभ न ले पाएं, इसके लिए भी नियमों में कई अहम बदलाव किए गए हैं।
केंद्र सरकार ने प्रदेश को छात्रवृत्ति के लिए नए दिशा-निर्देश भेज दिए हैं। साथ ही फंडिंंग पैटर्न भी बदल दिया है। अब केंद्र सरकार 60 फीसद बजट देगी, जबकि 40 फीसद प्रदेश सरकार को अपने पास से खर्च करना होगा। पहले छात्रवृत्ति योजना में प्रदेश सरकार का ज्यादा खर्च होता था। छात्रवृत्ति में घपला रोकने के लिए सरकार चरणबद्ध तरीके से कई कदम उठाने जा रही है। छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी आधार आधारित करने के निर्देश केंद्र सरकार ने दिए हैं। इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर जल्द नियमावली बनाई जाएगी।
केंद्र सरकार ने सभी छात्रवृत्ति के आवेदन नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर अपलोड करने के लिए भी कहा है। हालांकि प्रदेश सरकार ने इसे इसलिए मानने से मना कर दिया, क्योंकि प्रदेश सरकार ने भी स्कॉलरशिप का एक अलग पोर्टल पहले से बना रखा है। इसके जरिये ही सरकार छात्रवृत्ति के आवेदन से लेकर वितरण करती है।
ग्रेडिंग के आधार पर चुने जाएंगे कॉलेज व विश्वविद्यालय
फर्जी संस्थाओं को छात्रवृत्ति योजना से बाहर करने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 से सभी शिक्षण संस्थानों के लिए नैक व एनबीए की ग्रेडिंग जरूरी कर दी है। ग्रेडिंग न होने पर उसके यहां छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति नहीं दी जाएगी। साथ ही निजी व राज्य विश्वविद्यालयों के लिए नैक की ए ग्रेडिंग जरूरी कर दी है। यानी ए ग्रेड पाने वाले विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को ही छात्रवृत्ति दी जाएगी। केंद्र सरकार छात्रवृत्ति योजना में अपने 60 फीसद अंशदान के तौर पर प्रदेश को वर्ष 2021 में 1186 करोड़ रुपए देगी। इससे छात्रवृत्ति योजना में धन की कमी आड़े नहीं आएगी।