भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में मई माह से सीमा विवाद जारी है। इसी बीच अब सभी राष्ट्रीय राजमार्ग, जो चीन की सीमा तक जाने के लिए फीडर सड़कों के रूप में हैं या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं उन्हें 10 मीटर यानी 32 फीट से ज्यादा चौड़ा किया जाएगा। यह कहना है सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का। राजमार्ग मंत्रालय ने अपने दो साल पुराने उस परिपत्र को संशोधित कर दिया है, जिसमें ऐसी सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर यानी 18 फीट तक सीमित कर दी गई थी। यह परिपत्र चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए विवाद का कारण बन गया था।
मंत्रालय ने मंगलवार को जारी किए परिपत्र में कहा है कि पहले की चौड़ाई मानक सामरिक सड़कों से संबंधित मुद्दे का समाधान नहीं करती। इसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए मुद्दों के मद्देनजर निर्धारित मानकों की समीक्षा की गई है।
संशोधित परिपत्र में मंत्रालय ने कहा है, ‘पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्र की वो सड़कें जो चीन की सीमा के लिए फीडर सड़कों के रूप में कार्य करती हैं या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामरिक महत्व वाली हैं, उस कैरिजवे की चौड़ाई 7 मीटर होनी चाहिए, जिसके दोनों ओर 1.5 मीटर ढलान होगी।’
कुछ ही महीने पहले उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के अध्यक्ष रवि चोपड़ा ने 23 मार्च, 2018 को बताया था कि मंत्रालय चारधाम सड़क परियोजना को निष्पादित करते समय अपने स्वयं के निर्णय का कैसे उल्लंघन कर रहा है।इसके बाद यह कदम उठाया गया है।
एचपीसी सड़क की चौड़ाई के मुद्दे पर दो समूहों में विभाजित हो गई थी। एक तरफ इसके अधिकांश सदस्य 12 मीटर तक सड़क को चौड़ा करने के सरकार के रुख से सहमत थे, वहीं दूसरी तरफ समिति के कुछ सदस्यों का दृष्टिकोण यह था कि मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टार वाली सड़क की चौड़ाई निर्धारित 5.5 मीटर से अधिक न हो।
सूत्रों ने कहा कि भारत के अटॉर्नी जनरल की कानूनी राय पर नया परिपत्र जारी किया गया है कि चीन सीमा पर जाने वाली सड़कों को 10 मीटर चौड़ा करने की आवश्यकता है। सूत्र ने बताया कि संशोधित परिपत्र मंगलवार को एचपीसी के समक्ष रखा गया था। अब तक, 825 किलोमीटर चारधाम सड़क नेटवर्क में से 425 किमी पर ब्लैक टॉपिंग पूरी हो चुकी है।