लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का कार्य निर्धारित समय-सीमा के अन्तर्गत पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शेष भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण हो। उन्होंने पी0जी0सी0आई0एल0, पावर ट्रांसमिशन और पावर काॅरपोरेशन के अधिकारियों को विद्युत लाइनों के विस्थापन कार्य को पूरा कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मिट्टी के तटबन्धों के निर्माण कार्यों को आगामी बरसात से पूर्व ही पूर्ण करा लिया जाए।
मुख्यमंत्री आज जनपद गोरखपुर में गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे ग्राम नकौरा सिकरीगंज में पैकेज-01 के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्हांेने कहा कि विकास परियोजनाओं में विलम्ब व शिथिलता के लिए सम्बन्धित के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि टीम भावना के साथ कार्य किए जाए और मैनपावर बढ़ाकर समय-सीमा के अन्तर्गत कार्य पूर्ण किए जाएं तथा अनावश्यक प्रकरणों को किसी भी स्तर पर लम्बित न रखे जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे की निर्माण कम्पनियों को मिट्टी की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। प्रदेश में मिट्टी राॅयलटी फ्री कर दी गयी है, मिट्टी की कमी आड़े नहीं आएगी, मिट्टी के कार्यों को मई तक अवश्य पूर्ण कर लिया जाए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि 1,774 करोड़ रुपए की लागत से 48.317 कि0मी0 लम्बाई की यह परियोजना है। इस परियोजना को 03 वर्ष के अन्दर पूर्ण करना है। मुख्यमंत्री ने चीफ इंजीनियर विद्युत को निर्देश दिए कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के मध्य पड़ने वाले अवरोधों जैसे-लाइन, विद्युत पोल आदि को तत्काल प्रभाव से हटाते हुए उसे उचित स्थान पर विस्थापित कराएं।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री जी ने सिकरीगंज स्थित गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे और कम्हरिया घाट पर निर्माणाधीन घाघरा पुल का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित करायी जाए। उन्होंने इस अवसर पर वृक्षारोपण भी किया।
निरीक्षण के दौरान यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने मुख्यमंत्री जी को घाघरा नदी पर बनने वाले पुल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि घाघरा नदी पुल पर 50 वेल में से 18 पर काम शुरू हो गया है। शेष वेल बनाने का कार्य बरसात आने से पहले प्रारम्भ हो जाएगा। मौके पर निर्माण कम्पनियों के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री जी को भरोसा दिलाया कि मार्च 2022 तक गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का कार्य पूर्ण हो जाएगा। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे बनने के बाद लखनऊ से गोरखपुर आवागमन का एक और वैकल्पिक मार्ग तैयार हो जाएगा।
ज्ञातव्य है कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे प्रवेश नियंत्रित (ग्रीन फील्ड) परियोजना एक्सप्रेस-वे जनपद गोरखपुर, गोरखपुर बाईपास एन0एच0-27 ग्राम-जैतपुर के पास से प्रारम्भ होकर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर जनपद आजमगढ़ में समाप्त होगा। एक्सप्रेस-वे की लम्बाई 91.352 कि0मी0 है। एक्सप्रेस-वे से जनपद गोरखपुर, अम्बेडकरनगर, संतकबीरनगर, आजमगढ़ लाभान्वित होंगे।
एक्सप्रेस-वे 4-लेन चैड़ा (06 लेन तक विस्तारणीय) तथा संरचनाएं 6-लेन चैड़ायी का बनायी जाएगी। एक्सप्रेस-वे के एक ओर 3.75 मी0 चैड़ाई की सर्विस रोड स्टैगर्ड रूप में बनाई जाएगी, जिससे परियोजना के आस-पास के गांव के निवासियों को एक्सप्रेस-वे पर आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो सके। एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 02 टोल प्लाजा, 03 रैम्प प्लाजा, 07 फ्लाई ओवर, 16 व्हेकुलर अण्डरपास, 50 लाइट व्हेकुलर अण्डरपास, 35 पेडेस्ट्रियन अण्डरपास, 07 दीर्घ सेतु, 27 लघु सेतु तथा 389 पुलियों का निर्माण भी किया जाएगा।
इस परियोजना की कुल अनुमोदित लागत 5876.68 करोड़ रुपए तथा सिविल निर्माण की अनुबन्धित लागत 3024.10 करोड़ रुपए है। परियोजना के क्रियान्वयन हेतु 02 पैकेजों में विभक्त किया गया है। पैकेज-1 का निर्माण कार्य 10 फरवरी, 2020 से एवं पैकेज-2 का निर्माण 19 जून, 2020 से प्रारम्भ कर दिया गया है।
एक्सप्रेस-वे के निर्माण से गोरखपुर क्षेत्र पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के माध्यम से लखनऊ, आगरा एवं दिल्ली तक त्वरित एवं सुगम यातायात कॉरिडोर से जुड़ जाएगा। एक्सप्रेस-वे के निर्माण से गोरखपुर क्षेत्र का सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। एक्सप्रेस-वे के प्रवेश नियंत्रित होने से वाहनों के ईंधन खपत में महत्वपूर्ण बचत, समय की बचत एवं पर्यावरणीय प्रदूषण का नियंत्रण भी सम्भव हो सकेगा। परियोजना से अच्छादित क्षेत्रों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
एक्सप्रेस-वे से अच्छादित क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन इकाइयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने हेतु एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेस-वे के निकट इण्डस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर सुलभ होंगे। एक्सप्रेस-वे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भण्डारण गृह मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा।
उल्लेखनीय है कि 6-लेन पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे गाजीपुर जनपद को राज्य की राजधानी लखनऊ समेत आजमगढ़ और अयोध्या से जोड़ेगी। 340.824 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का निर्माण 22,494 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। यह लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर सहित 09 जिलों से होकर गुजरेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 14 जुलाई, 2018 को आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी थी। इस योजना पर अब तक करीब 68 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। यह 302 कि0मी0 लम्बे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे और आगरा से दिल्ली तक 165 कि0मी0 लम्बे यमुना एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा।
इस एक्सप्रेस-वे के अन्तर्गत (मेन कैरिज-वे पर) कुल 18 फ्लाईओवर, 07 रेलवे ओवर ब्रिज, 07 दीर्घ सेतु, 118 लघु सेतु, 13 इन्टरचेन्ज (06 टोल प्लाजा सहित), 05 रैम्प प्लाजा, 271 अण्डरपास तथा 503 पुलियों का निर्माण कार्य प्रगति में है। एक्सप्रेस-वे पर आपातकालीन स्थिति में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के लैण्डिंग/टेक आॅफ के लिये जनपद सुल्तानपुर में 3.2 कि0मी0 लम्बी हवाईपट्टी का निर्माण भी प्रस्तावित है।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से आच्छादित क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन इकाइयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को प्रदेश की राजधानी एवं राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने हेतु एक औद्योगिक काॅरिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेस-वे के निकट इण्डस्ट्रियल टेªनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर सुलभ होंगे।
एक्सप्रेस-वे हैण्डलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भण्डारण गृह, मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। एक्सप्रेस-वे के निर्माण से परियोजना आच्छादित क्षेत्रों में पर्यटन के विकास को बल मिलेगा एवं विकास से उपेक्षित प्रदेश के इन पूर्वी क्षेत्रों का सर्वांगीण एवं चहुंमुखी विकास सम्भव हो सकेगा।